77 वां स्वतंत्रता दिवस : भारत पर किया था इन 12 विदेशियों ने शासन

अनिरुद्ध जोशी
सोमवार, 14 अगस्त 2023 (17:12 IST)
77th Independence Day 202: स्वतंत्रता दिवस वे देश मनाते हैं जो कभी गुलाम रहे थे। भारत की बात करें तो संपूर्ण भारत पर कभी किसी एक विदेशी ने शासन नहीं किया। ब्रिटेन ही एकमात्र देश था जिसका अधिकांश भारत पर कब्जा रहा है। लेकिन उसका भी संपूर्ण भारत पर कभी कब्ज नहीं रहा। आओ जानते हैं कि भारत पर किन किन विदेशी शासकों ने किया था शासन।
 
1. यूनानी शासन (ईसा पूर्व) : यूनानियों ने भारत के पश्चिमी छोर के कुछ हिस्सों पर ही शासन किया। बौद्ध काल में अफगानिस्तान भी भारत का हिस्सा था। यूनानियों ने सबसे पहले इसी आर्याना क्षेत्र पर आक्रमण कर इसके कुछ हिस्सों को अपने अधीन ले लिया था। भारत पर आक्रमण करने वाले सबसे पहले आक्रांता थे बैक्ट्रिया के ग्रीक राजा। इन्हें भारतीय साहित्य में यवन के नाम से जाना जाता है। यवन शासकों में सबसे शक्तिशाली सिकंदर (356 ईपू) था जिसे उसके देश में अलेक्जेंडर और भारत में अलक्षेन्द्र कहा जाता था।
 
2. अरब-ईरानी शासन (711-715 ई.): 7वीं शताब्दी के अंत में सिन्ध पर ईस्वी सन् 638 से 711 ई. तक के 74 वर्षों के काल में 9 खलीफाओं ने 15 बार आक्रमण किया। 15वें आक्रमण का नेतृत्व मोहम्मद बिन कासिम ने किया। अरबों के बाद तुर्कों ने भारत पर आक्रमण किया। अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी में तुर्क साम्राज्य की स्थापना की। 
 
3. घुरिद वंश: तराइन के पहले युद्ध में मुहम्मद गोरी एक तुर्की जनजाति घुरिद का नेतृत्व कर रहा था वहीं दूसरी तरफ पृथ्वीराज चौहान राजपूतों का नेतृत्व कर रहे थे। गौरी को कई बार हाराने के बाद पृथ्वीराज चौहान की जब हार हुई तो घुरिद वंश के लोगों ने भारत के कई हिस्सों को अपने अधिकार में ले लिया।
 
4. गजनवी का शासन : महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा के आदेशानुसार भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करना शुरू किए। महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया जिसके चलते भारत के कई हिस्से उसके कब्जे में आते गए। महमूद गजनवी ने अपना 16वां आक्रमण (1025 ई.) सोमनाथ पर किया। 17वां आक्रमण उसने सिंध और मुल्तान के तटवर्ती क्षेत्रों के जाटों पर किया। इसमें जाट पराजित हुए।
 
5. गुलाम वंश: गुलाम वंश (1206-1290) : 1206 से 1290 ई. के मध्य 'दिल्ली सल्तनत' पर जिन शासकों द्वारा शासन किया गया उन्हें गुलाम वंश का शासक कहा जाता है।  गुलाम इसलिए क्योंकि यह गजनवी के गुलाम थे। गजनवी इन्हें सत्ता सौंपकर चला गया था। गुलाम वंश का प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था। आरामशाह, इल्तुतमिश, रूकुनुद्दीन फिरोजशाह, रजिया सुल्तान, मुइजुद्दीन बहरामशाह, अलाउद्दीन मसूद, नसीरुद्दीन महमूद। इसके बाद अन्य कई शासकों के बाद उल्लेखनीय रूप से गयासुद्दीन बलबन (1250-1290) दिल्ली का सुल्तान बना। गुलाम राजवंश ने लगभग 84 वर्षों तक शासन किया। दिल्ली पर यह प्रथम मुस्लिम शासक था। इस वंश का संपूर्ण भारत नहीं, सिर्फ उत्तर भारत पर ही शासन था।
 
6. खिलजी वंश (1290-1320 ई.) : गुलाम वंश के बाद दिल्ली पर खिलजी वंश के शासन की शुरुआत हुई। इस वंश या शासन की शुरुआत जलालुद्दीन खिलजी ने की थी। खिलजी कबीला मूलत: तुर्किस्तान से आया था। इससे पहले यह अफगानिस्तान में बसा था। जलालुद्दीन खिलजी प्रारंभ में गुलाम वंश की सेना का एक सैनिक था। गुलाम वंश के अंतिम कमजोर बादशाह कैकुबाद के पतन के बाद एक गुट के सहयोग से यह गद्दी पर बैठा। 
 
7. तुगलक वंश: खिलजी वंश के बाद दिल्ली सल्तनत तुगलक वंश के अधीन आ गई। गयासुद्दीन तुगलक 'गाजी' सुल्तान बनने से पहले कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी के शासनकाल में उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत का शक्तिशाली गवर्नर नियुक्त हुआ था। उसे 'गाजी' की उपाधि मिली थी। गाजी की उपाधि उसे ही मिलती है, जो बड़े पैमाने पर काफिरों का वध करने वाला होता है। इसके बाद सैयद वंश चला।
 
8. लोदी वंश (1451 से 1426 ईस्वी) : कई अफगान सरदारों ने पंजाब में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली थी। इन सरदारों में सबसे महत्वपूर्ण बहलोल लोदी था। दिल्ली के शासक पहले तुर्क थे, लेकिन लोदी शासक अफगान थे। बहलोल लोदी के बाद सिकंदर शाह लोदी और इब्राहीम लोदी ने दिल्ली पर शासन किया। इब्राहिम लोदी 1526 ई. में पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर के हाथों मारा गया और उसी के साथ ही लोदी वंश भी समाप्त हो गया।
 
9. मुगल और अफगान (1525-1556) : चंगेज खां के बाद तैमूरलंग शासक बनना चाहता था। वह चंगेज का वंशज होने का दावा करता था, लेकिन असल में वह तुर्क था। चंगेज खां तो चीन के पास मंगोलिया देश का था। चंगेज खां एक बहुत ही वीर और साहसी मंघोल सरदार था। यह मंघोल ही मंगोल और फिर मुगल हो गया। सन् 1211 और 1236 ई. के बीच भारत की सरहद पर मंगोलों ने कई आक्रमण किए। इन आक्रमणों का नेतृत्व चंगेज खां कर रहा था। चंगेज 100-150 वर्षों के बाद तैमूर लंग ने पंजाब तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था। तैमूर 1369 ई. में समरकंद का शासक बना। तैमूर भारत में मार-काट और बरबादी लेकर आया। 1494 में ट्रांस-आक्सियाना की एक छोटी-सी रियासत फरगना का बाबर उत्तराधिकारी बना। उजबेक खतरे से बेखबर होकर तैमूर राजकुमार आपस में लड़ रहे थे। बाबर ने भी अपने चाचा से समरकंद छीनना चाहा। उसने दो बार उस शहर को फतह किया, लेकिन दोनों ही बार उसे जल्दी ही छोड़ना पड़ा। दूसरी बार उजबेक शासक शैबानी खान को समरकंद से बाबर को खदेड़ने के लिए आमंत्रित किया गया था। उसने बाबर को हराकर समरकंद पर अपना झंडा फहरा दिया। बाबर को एक बार फिर काबुल लौटना पड़ा। इन घटनाओं के कारण ही अंततः बाबर ने भारत की ओर रुख किया। बाबर ने कई लड़ाइयां लड़ीं। उसने घूम-घूमकर उत्तर भारत के मंदिरों को तोड़ा और उनको लूटा। उसने ही अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनवाई थी। बाबर केवल 4 वर्ष तक भारत पर राज्य कर सका। उसके बाद उसका बेटा नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ दिल्ली के तख्त पर बैठा। हुमायूं के बाद जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, अकबर के बाद नूरुद्दीन सलीम जहांगीर, जहांगीर के बाद शहाबुद्दीन मोहम्मद शाहजहां, शाहजहां के बाद मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब, औरंगजेब के बाद बहादुर शाह प्रथम, बहादुर शाह प्रथम के बाद अंतिम मुगल बहादुर शाह जफर दिल्ली का सुल्तान बना।
10. पुर्तगाल: वास्को डी गामा 1498 में भारत आए और इसके 12 वर्षों अंदर ही पुर्तगालियों ने गोवा पर कब्जा कर लिया। पुर्तगालियों ने करीब 1510 से अपना शासन प्रारंभ किया। भारतीय क्षेत्र गोवा को 1947 में इसलिए आजादी नहीं मिली क्योंकि वह ब्रिटेन नहीं पुर्तगाल के कब्जे में था। 451 सालों बाद 1961 में 19 दिसंबर को पुर्तगाल को आजादी मिली यानी भारत के आजाद होने के करीब साढ़े 14 साल बाद। पुर्तगालियों ने दमन और दीव पर भी कब्जा कर रखा था।
 
11. फ्रांस: 1674 ई में  फ्रांसीसियों ने बीजापुर के सुल्तान से पोंडिचेरी नाम का गाँव प्राप्त किया और एक सम्पन्न शहर की स्थापना की जो बाद में भारत में फ्रांसीसियों का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा। धीरे धीरे फ़्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी ने माहे,कराइकल, बालासोर और कासिम बाज़ार में अपनी व्यापारिक बस्तियां स्थापित कर लीं। धीरे धीरे फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1723 ई में यनम, 1725 ई में मालाबार तट पर माहे और 1739 ई में कराइकल पर कब्ज़ा कर लिया।  1741 ई में जोसफ फ़्रन्कोइस डूप्ले को फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी का गवर्नर बनाया गया। डूप्ले की सेना ने मार्क्विस दी बुस्सी के नेतृत्व में हैदराबाद और केप कोमोरिन के मध्य के क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया। 1744 ई में ब्रिटिश अफसर रोबर्ट क्लाइव भारत आया जिसने डूप्ले को पराजित किया। ब्रिटिशों और फ्रांसीसियों के मध्य हुई बांदीवाश की लड़ाई में हैदराबाद क्षेत्र को खो देने के कारण फ्रांसीसियों की कमर टूट गयी और इसी का फायदा उठाकर 1760 ई में ब्रिटिशों ने पोंडिचेरी की घेराबंदी कर दी। बाद में 1763 ई में ब्रिटिशों के साथ हुई शान्ति-संधि की शर्तों के अधीन 1765 ई में पोंडिचेरी को फ्रांसीसियों को लौटा दिया। 1962 ई में भारत और फ्रांस के मध्य हुई एक संधि के तहत भारत में स्थित फ्रांसीसी क्षेत्रों को वैधानिक रूप से पुनः भारत में मिला लिया गया
 
12. कंपनी का शासन और ब्रिटेन का शासन: 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई (मुंबई), मद्रास (चेन्नई) तथा कोलकाता (कोलकाता) पर कब्जा कर लिया। 1857 के विद्रोह के बाद कंपनी के हाथ से भारत का शासन ब्रिटिश राज के अंतर्गत आ गया। 1857 से लेकर 1947 तक ब्रिटेन का राज रहा। इससे पहले कंपनी ने लगभग 100 वर्षों तक भारत पर राज किया। कुल 200 वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत पर राज किया। 1947 में अंग्रेजों ने शेष भारत का धर्म के आधार पर विभाजन कर दिया। 
 

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