Partition of india: विभाजन या बंटवारा किसी देश, भूमि या सीमा का नहीं होता। विभाजन तो लोगों की जिंदगी, भावनाओं का हो जाता है जो हमेशा के लिए उनको इतने गहरे जख्म दे जाता है कि वह उनकी खुद की और आने वाली नस्लों की जिंदगी को झिंझोड़ कर रख देता है। 1857 से 1947 तक 90 साल के संग्राम, आंदोलन और बलिदान के बाद भारतीयों ने आजादी की जगह देखी विभाजन की त्रासदी। बंटवारा किस आधार पर हुआ और क्यों हुआ? क्यों नहीं इसके लिए जनमत कराया गया? ऐसे कई सवाल है जो आज भी मन में उठते हैं। बंटवारे की सबसे ज्यादा त्रासदी सिंधी, पंजाबी, कश्मीरी और बंगालियों ने झेली है। विभाजन का यह काला अध्याय आज भी इतिहास के चेहरे पर विस्थापित हुए, भगाए गए, मारे गए, भटक कर मौत को गले लगाने वाली मनुष्यता के खूने के छींटों से भरा है।