कलियुग में सोमा नाम का शूद्र हुआ करता था। धनवान होने के साथ ही सोमा नास्तिक था। वह हमेशा वेदों की निंदा करता था। उसको संतान नहीं थी। सोमा हमेशा हिंसावृत्ति में रहकर अपना जीवन व्यतीत करता था। इसी स्वभाव के कारण सोमा कष्ट के साथ मरण को प्राप्त हुआ। इसके बाद सोमा पिशाच्य योनि को प्राप्त हुआ। नग्न शरीर और भयावह आकृति वाला पिशाच मार्गो पर खड़े होकर लोगों को मारने लगा। एक समय वेद विद्या जानने वाले सदा सत्य बोलने वाले कहीं जा रहे थे, पिशाच उनको खाने के लिए दौड़ा। तभी ब्राह्मण को देखकर पिशाच रूक गया और संज्ञाहीन हो गया। पिशाच को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ हो क्या रहा है।