सूर्य के तेज को न सहन कर पाने के कारण उनकी पत्नी संज्ञा उन्हें छोड़ कर चली गईं और तप करने लगीं। यह बात सूर्य को पता चली तो वे कुरूक्षेत्र पहुंच गए। यहां संज्ञा को सूर्य ने घोड़ी के रूप में देखा। तब वह भगवान के सामने गईं और नासिका से अश्विनी कुमार नामक घोड़े के मुख वाले पुत्र को जन्म दिया। रेत से रेवन्त पुत्र खड्ग और तलवार लेकर उत्पन्न हुआ। बाल्य काल में ही उसने तीनों लोक जीत लिए। सभी देवता घबरा कर ब्रह्मा की शरण में गए। ब्रह्मा ने सभी देवताओं को शिवजी के पास भेज दिया।