why valamiki chose ganesha to write mahabharata: महाभारत, जिसे दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्यों में से एक माना जाता है, की रचना महर्षि वेदव्यास जी ने की थी। उन्होंने इस विशाल ग्रंथ को बोला था, जबकि इसे लिखने का कार्य भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, श्री गणेश ने किया था। लेकिन, एक सवाल हमेशा मन में उठता है कि आखिर वेदव्यास जी ने इतने बड़े और जटिल ग्रंथ को लिखने के लिए गणेश जी को ही क्यों चुना? इसके पीछे कई गहरे और रोचक कारण छिपे हैं।
ज्ञान और गति का अद्भुत संगम
धर्म-ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास जी के पास महाभारत को पूरा करने के लिए बहुत कम समय था और वे इसे शीघ्रता से पूर्ण करना चाहते थे। उनकी बोलने की गति बहुत तीव्र थी। उन्हें एक ऐसे लेखक की तलाश थी जो उनकी इस तीव्र गति के साथ कदम से कदम मिलाकर लिख सके। यह एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि कोई भी साधारण व्यक्ति इस गति को बनाए नहीं रख सकता था।
इसके अलावा, एक और बड़ी समस्या थी - वेदव्यास जी द्वारा बोले जाने वाले संस्कृत के शब्द बहुत कठिन और क्लिष्ट थे। उन शब्दों को बिना रुके, तुरंत समझकर लिखना किसी के लिए भी आसान नहीं था। उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी जो न केवल तेज गति से लिख सके, बल्कि उनके द्वारा बोले गए गूढ़ शब्दों को भी तुरंत समझ सके।
बुद्धि, चतुराई और ज्ञान का प्रतीक
यहीं पर गणेश जी का महत्व सामने आता है। गणेश जी को बुद्धि, चतुराई और ज्ञान का देवता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा बोले गए संस्कृत शब्दों को जितनी सरलता से गणेश जी समझ सकते थे, उतनी सरलता से किसी भी अन्य देवता या व्यक्ति के लिए समझना संभव नहीं था। गणेश जी अपने अद्भुत ज्ञान और विवेक के कारण ही वेदव्यास जी के विचारों को सही ढंग से लिख सकते थे।
एक शर्त भी थी, जिसे गणेश जी ने स्वयं रखा था। उन्होंने कहा था कि वे बिना रुके लिखेंगे, लेकिन महर्षि वेदव्यास को भी बिना रुके बोलना होगा। इस शर्त ने लेखन कार्य को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया, लेकिन गणेश जी की तीव्र बुद्धि और वेदव्यास जी के अद्भुत ज्ञान के कारण ही यह कार्य सफल हो सका।