गण ब्राह्मण का रूप धारण कर उज्जैन में आकर रहने लगा ओर प्रजा की विभिन्न व्यधियों को दूर करने लगा। जिनको पुत्र नहीं थे उन्हें औषधियों से पुत्र प्रदान करने लगा। उसकी ख्याति फैलने लगी पंरतु राजा उसके पास नहीं पहुंचा। एक दिन राजा रिपुंजय की प्रिय रानी बहुला देवी के पुत्र नहीं होने पर उसकी एक सखी ब्राह्मण के पास गई ओर उससे रानी को पुत्र प्रदान करने की प्रार्थना की।
तब महादेव ने कहां कि राजन तुम्हारे यहां पुत्र होगा जो धर्मात्मा, यशस्वी होकर सर्वभौम राजा होगा। गण के शिवलिंग होने के कारण शिवलिंग का नाम शिवेश्वर विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो मनुष्य शिवलिंग की पूजन करेगा वह सभी पापों से मुक्त होकर अंतकाल में शिव के गणों में शामिल होगा।