वर्ष 2009 : खूब चली तांत्रिको की दुकानें

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तंत्र-साधना के बल पर आदमी अलौकिक और चामत्कारिक शक्तियों का स्वामी बन सकता है? इस सवाल का हाँ या ना में जवाब देने के बजाय यह कहा जा सकता है कि आज के युग में तंत्र-साधना के प्रति लोगों में गहरी दिलचस्पी बनी हुई है। पुराने जमाने के अपेक्षा आज का आम आदमी तंत्र विद्या का सहारा लेकर वो बहुत कुछ पाने की कोशिश में लगा रहता है। जो उसके लिए हाथ न लगने वाले चाँद या सूरज की तरह है।

बीते साल में तांत्रिकों की दुकान खूब चलीं। बजाय मेहनत करने के आम लोगों में कम समय में बहुत कुछ पाने की लालसा बढ़ी है। यही वजह है कि तांत्रिक आसानी से उनकी पहुँच का ठिकाना बन बैठे है। अखबार, पत्र-पत्रिकाओं में बढ़ते ज्योतिष और तांत्रिकों के झूठे विज्ञापनों की ओर आकर्षित होकर आज हर इंसान उसी के पीछे भागता हुआ नजर आता है। अंजाम चाहे जो भी हो, लेकिन कुछ समय के लिए ही मन को तसल्ली देने के लिए आजमाए गए ये टोटके कुछ लोगों का तो भला कर देते हैं पर कुछ लोगों को इसका खामियाजा बहुत भारी नुकसान के रूप में भी चुकाना पड़ता है।

तंत्र-मंत्र-यंत्र विद्या बहुत प्रभावशाली होती है। लेकिन अगर सही काम के लिए उसका उपयोग किया गया तो अंजाम भी ठीक ही होगा लेकिन कई बार इन तांत्रिकों के चुंगल में फँसने के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय में आपके पास कुछ भी नहीं बचता।

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वर्ष 2009 में तांत्रिकों की दुकान खूब चली,जिसका कई लोगों को गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ा। साल 2009 में इन अघोरी विद्याओं के आकाओं ने भोली जनता को जी भर कर लूटा। पेश है ‍पिछले साल की कुछ सत्य घटनाएँ :

कोलकाता से 180 किलोमीटर दूर स्थित तारापीठ धाम का महाश्मशान। यह स्थान मंदिर से थोड़ा हटकर बिलकांदी गाँव में ब्रह्माक्षी नदी के किनारे पड़ता है। यहाँ के महाश्मशान में 20-20 हाथ की दूरी पर बने तांत्रिकों के झोंपड़ों में सिंदूर से लिपी-पुती मानव खोपड़ियाँ और हड्डियाँ रहस्यमय वातावरण का निर्माण करती हैं।

यहाँ की एक महिला तांत्रिक ने रांगा नाम की युवती को 'माँ काली'बनाकर तंत्र सिद्धि का ढोंग किया और श्रद्धालुओं को खूब ठगा। बाद में रांगा जब अपने सांसारिक जीवन में लौटने लगी तो तंत्र सिद्धि का लालच देकर महिला तांत्रिक ने रांगा के साथ मिलकर उसके पति की हत्या करवा दी।

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कालीघाट का केवड़तला श्मशान घाट शव साधना का केंद्र माना जाता था। जिसका निर्माण 1862 में किया गया था। उस दौरान कालीघाट में महिला तांत्रिकों की संख्या भी अच्छी-खासी थी। 1960 में माँ योगिनी नामक एक महिला तांत्रिक ने अपनी आध्यात्मिक क्षमताओं से असाध्य रोगों का इलाज करने का दावा किया था। उस महिला तांत्रिक के शिष्यों की संख्या आज भी कालीघाट इलाके में काफी है।

तांत्रिक बाबा मिहिर भट्टाचार्य। उम्र 75 पार। वे अपनी 'दिव्य'ऊँगलियों के स्पर्श से समास्याओं के समाधान के लिए चर्चित हैं। कालीघाट में उनके चेलों की अच्छी तादाद है, जिनके पास उनके द्वारा किए गए चमत्कारों का पिटारा है।

अघोरपंथी तांत्रिक स्वामी शंकरानंद। भविष्यवाणी करने के लिए उनकी 'ख्याति'है। उनका दावा है कि मंत्रों की सिद्धि करने के लिए उन्होंने कई रातें श्मशान में गुजारी हैं। वे तंत्र विद्या की प्राचीनता पर खुलकर बात करते हैं।

ऐसे ही दिल्ली के हाथरस इलाके में हाल ही में कनेटा बाबा के चक्कर में एक युवक फँस गया। बाबा के कहने पर बॉबी नाम के इस युवक ने शहर भर में हंगामा खड़ा कर दिया। कब्रिस्तानों से रोज रात को मुर्दों की खोपड़ी गायब होने लगी। शहर भर में तरह-तरह की चर्चाओं के बाजार गर्म हो गए। एक दिन एक आदमी ने बॉबी को कब्र खोदते पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। पूछताछ में बॉबी ने जो कुछ कबूला उससे लोग हिल गए। कनेटा बाबा की सच्चाई लोगों के सामने आ गई।

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अंबाला में एक औरत बाबा के बहकावे में इस कदर अंधी हो गई कि उसने अपना गला ही कटवा डाला। उषा नाम की यह महिला घरेलू किस्सों के परवान चढ़ने से तंग थी। घर में रोज-रोज हो रहे बहू-बेटे के झगड़े को निपटाने के लिए वह एक तांत्रिक के दरबार में पहुँच गई। तांत्रिक बाबा ने पूजा के आखिरी दौर में उसके गले का खून माँग लिया। तांत्रिक के तंत्र-मंत्र में अंधी हो चुकी यह महिला अपने गले का खून देने के लिए प्रस्तुत हो गई। इस तांत्रिक ने उसका गला ही काट दिया। अपनी माँ की मौत देखकर साथ आई बेटी आरती अभी भागने का प्रयास करती उससे पहले उसे भी सिरफिरे तांत्रिक ने पकड़कर मौत के घाट उतार डाला। इस तरह घर में हो रहे झगड़े को शांत कराने के लिए तंत्र-मंत्र की शरण में आई ये महिला अपनी बेटी के साथ हमेशा के लिए खामोश हो गई।

घर में एक बेटा पैदा हो, इसके दीवाने भी सैकड़ों परिवार हैं। उनके इसी पागलपन को भुनाकर अपने आपराधिक षड्यंत्र को परवान चढ़ाने वाले कई लोग बाबा का भेष धरकर सरेआम लोगों को छलते-फिरते हैं। दिल्ली के हरिनगर के राजेश उर्फ मामा नाम के तांत्रिक ने लड़के के दीवाने हो चुके एक परिवार को ठगने के साथ-साथ उसकी गर्भवती बहू के साथ बलात्कार भी किया। भुक्तभोगी बहू ने जब बाबा के कुकर्म की पोल खोली तो ससुराल वालों ने अनसुना करके उसे मुँह न खोलने की धमकी भी दे दी।

लखनऊ के काकोरी क्षेत्र की बुद्धेश्वर विहार कॉलोनी में दो ठग तंत्र-मंत्र की आड़ में हनीफ के घर में जो भी कुछ था उसे लूट ले गए। हनीफ की पत्नी गर्भवती थी और पहले उनका कोई भी बच्चा पैदा होने के बाद ज्यादा दिन तक नहीं जी पाता था। इससे पहले उनके दो बच्चे मर चुके थे। घर वालों ने इस बार बच्चा न मरे, इसलिए झाड़-फूँक करने वाले दो बाबाओं का सहारा लिया। तीन दिन तक पूजा-पाठ करने के बाद इन ठगों ने बाजार से लड्डू मँगवाकर उसमें ऐसी भभूत मिलाई जिसे खाते ही सब बेहोश हो गए। इसके बाद घर में जो कुछ था वह सब उठा ले गए।

कानपुर तो तांत्रिकों का अड्डा बन चुका है। यहाँ आए दिन ऐसी घटनाएँ हुआ करती हैं। बलात्कार की शिकार हो चुकीं महिलाओं के मुताबिक ये बाबा रात को रुकने पर ही काम सिद्ध हो जाने का बहाना बनाकर इन्हें रोक लेते हैं। इसके बाद भभूत में बेहोशी की दवा मिलाकर उनके साथ कुकर्म करते हैं। कानपुर में पकड़े गए लारी बाबा पर तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट होने का भी आरोप लगा है।

इस तरह दिल्ली के राजेश ने अपनी बीवी की बीमारी के इलाज में तांत्रिक के कहने पर हजारों रुपए फूँक दिए, लेकिन बीमारी बढ़ती चली गई। अगर समय पर राजेश की आँखें न खुलतीं तो उसकी बीवी बाबा के झमेले में भगवान को प्यारी हो जाती।

अपने नाराज बॉयफ्रेंड को अपने बस में करने के चक्कर में एक प्रेमिका ने दिल्ली में धूम मचा रहे तांत्रिक सूफी रमानी की शरण में जाना ही उचित समझा। तांत्रिक ने ढाई हजार रु. ऐंठने के बाद उसे तरह-तरह के झमेले बताए। उसने कहा कि अगर वह उससे शारीरिक संबंध बना ले तो उसका प्रेमी फौरन खुश हो जाएगा। लेकिन तब तक युवती की आँखें खुल चुकी थीं। उसने तांत्रिक से किसी तरह अपना दामन बचाने के लिए मुक्त होना चाहा, तो उसने बीच में काम छोड़ने पर भूत-प्रेतों का शिकार बन जाने का भय दिखाया। ढोंगी बाबा की असलियत से दो-चार हो चुकी युवती अब चीख-चीखकर उसकी असलियत सबको बता रही है।

पढ़े-लिखे लोगों का इस कदर अंधविश्वास में अंधा हो जाना अब कोई हैरानी की बात नहीं रह गई है। समाज में भले ही तरह-तरह के उदाहरण सामने आए हो, लेकिन अभी भी लोग सब कुछ जानते हुए भी जागना नहीं चाहते। विज्ञान के नए-नए प्रयोगों के साथ आगे बढ़ रहे लोगों में अभी तमाम ऐसे लोग हैं जो इस दौड़ में पिछड़कर या रुककर अपनी लालसा को पूरा करने के लिए तंत्र-मंत्र की छत्र छाया में पहुँच जाते हैं और भूखे शेर की तरह अपना शिकार खोज रहे तांत्रिकों का शिकार बन जाते हैं।

ऐसे अनेक‍ किस्से दुनिया भर में घटित होते रहते है। ये कुछ ‍चर्चित किस्से है जो हमने यहाँ पेश किए हैं। तंत्र विद्या के प्रति लोगों का बढ़ता यह रुझान किस ओर ले जाता है यह कहना बहुत मुश्किल है। (वेबदुनिया डेस्क)

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