अशुभ-शुभ कर्म घृत-पूर्ण दशवर्तिका,
त्याग पावक, सतोगुण प्रकासं।
क्षमा-करुणा प्रमुख तत्र परिचारिका,
यज्ञ हरि तत्र नहिं भेद माया।।
आरती-िनरत सनकादि, श्रुति, शेष, शिव,
देवरिष, अखिलमुनि तत्त्व-दरसी।
करै सोइ तरै, परिहरै कामादि मल,
वदति इति अमलमति दास तुलसी।।