वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्।।
मैं सिद्धिप्रदाता, अभीष्टदायी, पार्वतीनन्दन भगवान् गणेश की वन्दना करता हूं, जो नाटे, स्थूलकाय, गजवदन एवं लम्बोदर होने पर भी अप्रतिम कमनीय हैं, जिनकी कनपटियों से चूते हुए मद की मधुर गन्ध से आकृष्ट भौंरों के कारण वे कनपटियां चञ्चल प्रतीत होती हैं तथा अपने दांत की चोट से विदीर्ण हुए शत्रुओं का रुधिर जिनके मुख पर सिन्दूर की शोभा धारण करता है।