श्रावण मास का नाग मरुस्थले पर्व आज, जानें इतिहास और महत्व

WD Feature Desk

मंगलवार, 15 जुलाई 2025 (11:10 IST)
Snake worship in Shravan month: आज, 15 जुलाई 2025, मंगलवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है और इस दिन को कई क्षेत्रों में नाग मरुस्थले पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से मंगला गौरी व्रत की भी शुरुआत होती है, जो सुहागिनों के लिए बहुत खास माना जाता है।
 
नाग मरुस्थले पर्व क्या है: श्रावण मास में दो पंचमी तिथियां पड़ती हैं- एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की पंचमी को कुछ क्षेत्रों में नाग मरुस्थले पर्व के रूप में मनाया जाता है, जबकि शुक्ल पक्ष की पंचमी को मुख्य नाग पंचमी मनाई जाती है, जो इस साल 29 जुलाई 2025 को मनाई जा रही है।
 
'मरुस्थले' शब्द का अर्थ है रेगिस्तान या शुष्क क्षेत्र। माना जाता है कि जिन क्षेत्रों में नागों का वास अधिक होता है या जहां रेगिस्तानी परिस्थितियों के कारण नाग अधिक दिखते हैं, वहां नाग मरुस्थले पंचमी का विशेष महत्व होता है। यह पर्व नागों की पूजा और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मौना पंचमी भी कहा जाता है, खासकर बिहार के कुछ हिस्सों में, जहां लोग इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं।
 
इतिहास और पौराणिक महत्व: नागों का हिंदू धर्म और पौराणिक कथाओं में गहरा महत्व है। उन्हें भगवान शिव के गले का हार, भगवान विष्णु की शय्या और पाताल लोक के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है। नाग मरुस्थले पर्व और नाग पंचमी से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें और मान्यताएं हैं:
 
• नागों का महत्व: नागों को दैवीय शक्ति, उर्वरता, धन और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। वे कृषि और पर्यावरण संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नियंत्रित करते हैं।
 
• सर्प दोष निवारण: इस दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
 
• सांपों के भय से मुक्ति: यह माना जाता है कि नाग पूजा करने से सांपों के काटने का भय दूर होता है और परिवार की रक्षा होती है।
 
• उत्पत्ति कथाएं: नाग पंचमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जैसे ऋषि आस्तिक द्वारा नागों की रक्षा का प्रसंग, भगवान कृष्ण द्वारा कालिया नाग का मर्दन, और जन्मेजय के सर्प यज्ञ का विराम। ये कथाएं नागों के महत्व और उनकी पूजा के कारणों को दर्शाती हैं।
• जल और पंचामृत का अभिषेक: इस दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की पूजा की जाती है। नागों की बांबी या बिल की पूजा की जाती है और उन्हें दूध, जल और पंचामृत से स्नान कराया जाता है। हालांकि, ध्यान रहे कि नागों को दूध पिलाने के बजाय, उनकी प्रतिमा या बांबी पर दूध अर्पित किया जाता है।
 
आज के दिन का विशेष महत्व: आज का दिन चूंकि श्रावण कृष्ण पंचमी है और यह मंगला गौरी व्रत के प्रारंभ का भी दिन है, इसलिए इस दिन नाग देवता और माता गौरी दोनों की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। यह पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति की कामना के लिए शुभ माना जाता है।
 
नाग मरुस्थले पर्व हमें प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान का संदेश देता है, और यह सिखाता है कि हमें पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
 
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