महाराजा अग्रसेन की आरती : जय श्री अग्र हरे...

जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे।
कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें।। 
जय श्री अग्र हरे... 
 
आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय।
अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे।। 
जय श्री अग्र हरे... 
 
केसरिया ध्वज फहरे, छात्र चंवर धारे।
झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे।। 
जय श्री अग्र हरे... 
 
अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आए!
गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाए।। 
जय श्री अग्र हरे... 
 
सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता!
ईंट, रुपए की रीति, प्रकट करे ममता।। 
जय श्री अग्र हरे... 
 
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा।।
कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा।। 
जय श्री अग्र हरे... 
 
अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाए!
कहत त्रिलोक विनय से सुख सम्पत्ति पाए।। 
जय श्री अग्र हरे... । 
 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी