पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर हैं लैंग्रेज पाइंट
'हेलो' कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है
2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ था Aditya L1
India solar mission Aditya L1 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन 'आदित्य एल1' (Aditya L1) यान को शनिवार को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर उसकी अंतिम गंतव्य कक्षा लैग्रेंज पाइंट में स्थापित करने की तैयारी कर ली है।
इसरो अधिकारियों के अनुसार, अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के 'लैग्रेंज प्वॉइंट-1 (एल 1) के आसपास एक 'हेलो' कक्षा में पहुंचेगा। एल 1 पाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग 1 प्रतिशत है। 'लैग्रेंज पाइंट' वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा। हेलो कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 लैग्रेंज प्वॉइंट में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है।
'एल1 पाइंट' के चारों ओर 'हेलो' कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा।
इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार शाम लगभग 4 बजे आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक 'हेलो' कक्षा में पहुंचा देगी। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा।
इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यान विभिन्न चरणों से होकर गुजरा और पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बचकर सूर्य-पृथ्वी 'लैग्रेंज प्वॉइंट 1' (एल 1) की ओर बढ़ गया।
'आदित्य एल1' को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर 'एल1' (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या 'कोरोनल मास इजेक्शन' (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।
क्या होता है L1 यानी लैग्रेंज प्वाइंट : इस मिशन में बार बार लैग्रेंज प्वाइंट शब्द आ रहा है। इसके साथ ही एल शब्द के बारे में लोग जानना चाहते हैं। ऐसे में आपको बता दें कि अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी जगह है जो पृथ्वी और सूरज के बीच सीधी रेखा में है। यह बिंदु धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। बता दें कि सूर्य की अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति है, तो वहीं पृथ्वी की अपनी। अंतरिक्ष में जहां पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का असर खत्म होता है और सूरज की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का असर शुरू होता है, इसी पॉइंट को लैग्रेंज पॉइंट कहा जाता है। मिशन आदित्य-L1 को इसी पॉइंट पर तैनात किया जाएगा। (इनपुट : भाषा)