मैत्रीवत खरीदारी से पर्यावरण संरक्षण में योगदान

बुधवार, 26 सितम्बर 2007 (21:02 IST)
1. प्रस्तावना : क्या हम खरीदने और उपभोग की वस्तुओं का आर्थिक और पर्यावरणीय कीमत चुकाते हैं? हम जानते हैं कि जीवन में कुछ भी मुक्त नहीं मिलता। उपभोग के सभी उत्पादों के लिए प्रयुक्त पदार्थ की कीमत, उत्पादन, डिब्बा बन्दीकरण, भंडारण, आवागमन, इत्यादि सहित सभी की आर्थिक और पर्यावरणीय कीमत हमको ही चुकानी होती है।

इसका प्रभाव हमारे प्राकृतिक संसाधनों के साथ मानव स्वास्थ्य और कल्याण इत्यादि पर पड़ता है। उदाहरण के लिए देखा गया है कि प्लास्टिक की थैलियों के अघिक प्रयोग व उचित निसतारण के अभाव के कारण शहर की कई जल निकास नालियों का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। इससे जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तथा अनेक बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। कई बार पशु भी इन्हें खा लेते हैं, जिससे उनके जीवन पर बन आती है। यह समस्या बहुत गंभीर है। अतः नीचे दिए कुछ उपाय करके इसके हानिकारक प्रभाव को कम करने की आवश्यकता है।

1.1 पर्यावरण मैत्रीवत खरीदारी : अपने घर और कार्यस्थल पर खरीदारी की कुछ नीति अपनाकर पर्यावरण या वातावरण की गुणवत्ता और दक्षता में वृद्वि कर सकते हैं। इसे हम पारिस्थितिकीय या पर्यावरण मैत्रीवत खरीदारी कह सकते हैं। इसका तात्पर्य ऐसे उत्पादों और सेवाओं का चयन करना है, जिससे कचरा कम हो, पुनः चक्रीकरण की संभावना हो और प्राकृतिक संसाधनों पर कम से कम हानिकारक प्रभाव पड़े। इसका एक उदाहरण है अपने घर और कार्यालय हेतु ऐसे कागजों का चुनाव करना जो पुनः चक्रीकरण द्वारा निर्मित हों।

इसकी माँग बढ़ने पर निर्माता भी इस तरह के कागज तैयार करेंगे। इसी प्रकार और बहुत से उत्पाद और सेवाएँ हैं जिनके प्रयोग द्वारा प्रकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है। पर्यावरण मैत्रीवत खरीदारी की नीति अपनाने से पर्यावरण संरक्षण में मदद मिल सकती है। इसके लिए आवश्‍यकता है केवल एक उचित शुरूआत की।

2. शुरूआत : वातावरण मैत्रीवत खरीदारी की शुरूआत ठीक आपके घर से होती है, जब आप खरीदारी का निर्णय लेते हैं। आपके पास खरीदारी के बहुत विकल्प होते है। जैसे कपड़े, खाद्‍य पदार्थ, तथा घर की अन्य वस्तुएँ या उत्पाद। इनकी खरीदारी में आपको सिर्फ इनकी कीमत ही नहीं देखनी है, बल्कि उन कारकों का भी ध्यान रखना है जो हमारे वातावरण को प्रभावित करते हैं।

जैसे कि उत्पाद में प्रयोग पदार्थ, गुणवत्ता, जीवन काल, पुनः चक्रीकरण की संभावना, उर्जा उपभोग, पैकेजिंग इत्यादि। आप चीजों को अपनी जरूरत व आवश्यकता के अनुसार उन्हें क्रमबद्ध कर सकते हैं। इससे प्रथम दृष्टि से अनावश्यक कचरे में कमी की जा सकती है। कार्यालय में इसके लिए उपयुक्त व्यक्ति वह है जो खरीदारी का कार्य देखते है। इसके लिए कार्यालयों में समितियाँ गठित की जा सकती हैं जो कि इन चीजों के लिए पृष्ठभूमि तैयार करें, और वैकल्पिक उत्पादों के बारे में जानकारी प्रदान करें व पर्यावरण मैत्रीवत खरीदारी के निर्णय में सहयोग करें। ऐसे उत्पादकों की सूची तैयार करनी चाहिए, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर आप खरीदना चाहते हैं, और जिन्हें नहीं खरीदना चाहते।

3. उत्पादकों की सूची : आप की सूची में उपलब्ध उत्पादों में पर्यावरण संबंधी जानकारी भी हो। इस सूची का आवश्यकतानुसार नियमित रूप से नवीनीकरण करते रहें। सिर्फ हरित या जैविक चीजों की खरीदारी आसाना काम नहीं है, और भी बहुत सी बातों का महत्तव है जो वातावरण को प्रभावित करती हैं। इसके साथ यह भी देखना है कि उत्पाद आप की जरूरत को कितना पूरा करता है। इसकी उपलब्धता, कीमत, साथ ही आपूर्तिकर्ता द्वारा दी गई सूचना भी महत्वपूर्ण है। उत्पादकों की सूची तैयार करने में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

3.1 उत्पादन : सभी उत्पादों में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल प्राकृतिक संसाधनों से आता है। इसके उत्पादन में उर्जा और पानी की जरूरत होती है। वे उत्पाद जो पदार्थों के पुनः चक्रीकरण से बने हैं, जैसे पुनः चक्रीय काँच, कागज और प्लास्टिक इत्यादि प्राकृतिक संसाधनों की लागत में कमी करते हैं। इनके उत्पादन में कम उर्जा लगती है, और कचरा पदार्थों के लिए बाजार खोलते हैं। जहाँ तक संभव हो पुनः चक्रीकरण से बने पदार्थों के उत्पादों का चुनाव करना चाहिए।

3.2 विषैलापन : खरीदे हुए उत्पादों की विषैली प्रकृति के बारे में जानकारी रखें। खरीदने के लिए ऐसे उत्पादन का चयन करें जो जैवाधारित हों तथा जैव अपधटित हों और विषैली प्रकृति की न हों। जिनसे खतरा व विषाक्तता कम उत्पन्न होती है।

3.3 पैकेजिंग या डिब्बाबन्दी : वे उत्पाद अच्छे हैं जिनमें अल्प डिब्बाबन्दी की आवश्यता है पुनः चक्रीय उसके बाद अच्छा है। उत्पादों को थोक में खरीदें और सिर्फ एक बार उपयोग में आने वाली वस्तुएँ न खरीदें। इससे पैकेजिंग या डिब्बाबन्दी में कमी की जा सकती है।

3.4 उत्पादों की ढुलाई : उत्पादों को आप तक पहुँचने में जितनी अधिक दूरी चलनी पड़ेगी उतना ही अधिक प्रदूषण उत्पन्न होगा तथा कीमत भी बढ़ेगी। इसलिए स्थानीय या क्षेत्रीय उत्पाद खरीदने को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है, और यातायात या ढुलाई की आर्थिक और पर्यावरणीय कीमत में कमी आती है।

3.5 उत्पाद की जीवन अवधि, दक्षता और प्रयोग : अपने खरीदे हुए उत्पाद की जीवन अवधि के बारे में ध्यान रखें। वे सस्ते उत्पाद जिनकी जीवन अवधि कम होती है, कचरे को अधिक बढ़ावा देते हैं। वे उत्पाद जो अधिक दिनों तक प्रयोग में लाए जाते हैं जैसे फर्नीचर, तथा अन्य भारी यंत्र इत्यादि। इनसे संसाधनों का उपयोग कम होता है। हमें उर्जा दक्ष उत्पादों और यंत्रों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही पुराने यंत्रों की दक्षता के बारे में भी जानकारी रखें। नए तथा अधिक दक्ष यंत्र खरीदकर आर्थिक बचत और पर्यावरणीय लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

3.6 वैकल्पिक ईंधन और दक्षता : नए आवागमन के साधनों जैसे स्कूटर, कार इत्यादि खरीदने से पहले इनकी ईंधन दक्षता की जानकारी जरूर रखें। यह भी ध्यान रखें कि वैकल्पिक ईंधन जैसे, गैस, ईंधन-सेल और बायोडीजल का इस्तेमाल किया जा सके।

3.7 पुनः उपयोग और पुनः चक्रीकरण : वे उत्पाद जिनका प्रयोग एक बार होता है। जल्दी ही कचरा बन जाते हैं। इसलिए उन वैकल्पिक चीजों का प्रयोग करें जो कि पुनः चक्रीकरण किए जा सकें जैसे चायना मग और बर्तन धोने व साबुन रखने के लिए बने डिब्बे। ज्ञात हो कि पूरी दुनिया में प्रतिदिन लगभग 20 करोड़ से ज्यादा बोतलें, प्लास्टिक के डिब्बे और प्याले फेंके जाते हैं।

3.8 निसतारण : हर वस्तु कहीं न कहीं जानी चाहिए, लेकिन देखा जाता है कि लोग वस्तुओं को या तो जमीन पर या वातावरण में या समुद्र में फेक देते हैं जो कि उचित नहीं है। विषैले कचरे का निसतारण विषेष ढंग से किया जाना चाहिए। क्योंकि यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरा उत्पन करते हैं। ऐसे उत्पादों का चुनाव करना चाहिए जिनके निसतारण से हानिकारक कचरे का उत्पादन और उनका आयतन कम से कम हो। उचित निसातरण के लिए पैकेजिंग कम कीजिए, दक्षता बढ़ाइए, उत्पादों का पुनः उपयोग करें या पुनः चक्रीकरण कीजिए, या दान दीजिए।

3.9 खाद्य पदार्थों का चयन : खाद्य पदार्थों के चयन में पर्यावरण मैत्रीवत खरीददारी का ध्यान रखना चाहिए। जहाँ तक संभव हो स्थानीय उत्पादित अनाज, फल, सब्जी, दुग्ध पदार्थ और माँस का चयन करना चाहिए। इससे स्थानीय कृषि और रोजगार को बढ़ावा मिलता है।

3.10 आपूर्तिकर्ता का चुनाव : ऐसे उत्पाद आपूर्तिकर्ता का चुनाव करना चहिए जो कि पुनः चक्रीय उत्पादों का प्रयोग करते हैं। उत्पादों का अपने कारखाने में पुनः चक्रीकरण करते हैं। पैकेजिंग वापस लेते हैं व उर्जा और जल संरक्षण अपनाते हैं। साथ ही अपने उत्पादन में कम हानिकारक पदार्थों का प्रयोग करते हैं। वे उत्पाद और सेवाएँ पसन्द की जानी चाहिए जो कि पर्यावरण चिन्तक उत्पादकों, वितरणकताओं, थोक और फुटकर विक्रेताओं, ठेकेदारों, कलाकारों, तथा अन्य व्यापारियों द्वारा प्रदान की जाती हों।

निम्न उत्पादों और आपूर्ति की खरीदारी में इन बातों का अवश्य ध्यान रखें- बिजली के उपकरण तथा कम्प्युटर, टाईल्स, और भवन संरचना, निर्माण और रखरखाव, कार्पेट, सफाई की वस्तुऐँ, बिजली और बल्ब, खाने पीने की चीजें, फर्नीचर, कपड़े, कार्यालय की वस्तुएँ, कागज, पेन ,पेन्ट, मुद्रण सेवाएँ, लकड़ी, गाड़ी मोटर तथा आवागमन के साधन।

4. निष्कर्ष : घर और कार्यस्थल पर उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण मैत्रीवत खरीदारी की नीति अपनाकर हम वातावरण की गुणवत्ता, दक्षता और संरक्षण में वृद्वि कर सकते हैं। इससे निश्चित ही पारिस्थितिकी तंत्र, पर्यावरण व धरती के संसाधनों पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को कम से कम किया जा सकेगा।

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