अक्षय तृतीया से लंबे अंतराल पर केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खुलने के कारणों के बारे में बदरीनाथ मंदिर के मुख्य धर्माधिकारी भुवन उनियाल ने बताते हैं कि यमुनोत्री एवं गंगोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर खोले जाने की परंपरा है। लेकिन बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाने की तिथि बसंत पंचमी के मौके पर टिहरी के पूर्व राजाओं के महल में तय होती है, इसकी कोई निश्चित तिथि नहीं है। राजपुरोहितों द्वारा लग्न निकाले जाते हैं। इसमें सामान्यतः बैशाख माह की उपयुक्त तिथि देखी जाती है। पूर्व राजा की सहमति से निकाले गए दिनों में से शुभ दिन तय किया जाता है।
केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि केदारनाथ के रावल के निर्देशन में उखीमठ में पंडितों द्वारा तय की जाती है। इसमें सामान्य सुविधाओं के अलावा परंपराओं का ध्यान रखा जाता है। यही कारण है कि कई बार ऐसे भी मुहूर्त भी आए हैं जिससे बद्रीनाथ के कपाट केदारनाथ से पहले खोले गए हैं। जबकि आमतौर पर केदारनाथ के कपाट पहले खोले जाते हैं।