हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया का खास महत्व है। इस विशेष दिन का सभी लोगों को वर्ष भर इंतजार रहता है। इस बार कोरोना महामारी और लॉक डाउन के चलते जहां हिन्दू धर्मावलंबी मंदिर जाकर पूजा-अर्चना नहीं कर सकेंगे, उन्हें घर पर ही पूजा-पाठ करके परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया और मुस्लिम समुदाय को रमजान माह जैसे महत्वपूर्ण त्योहार मनाने पड़ेंगे।
इस बार परशुराम जयंती पंचाग भेद के कारण 25 अप्रैल, शनिवार को प्रदोष काल में मनाई जा रही है। भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का पृथ्वी पर अवतरण वैशाख मास की शुक्ल तृतीया तिथि को माता रेणुका के गर्भ से हुआ था। इस प्रकार अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का जन्म माना जाता है। साथ ही यह मत भी है कि भगवान परशुराम का प्राकट्य काल 'प्रदोष काल' है।
इस वर्ष 25 अप्रैल को यह दिन आने के कारण परशुराम जयंती शनिवार को मनाई जाएगी। कई स्थानों पर पारंपरिक मान्यता के अनुसार 26 अप्रैल को ही अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम जयंती दोनों एक साथ मनाई जाएगी।
ज्ञात हो कि प्रति वर्ष अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती एक ही दिन मनाई जाती है, लेकिन इस बार स्वयंसिद्ध मुहूर्त अक्षय तृतीया से एक दिन पहले भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाएगी। दोनों पर्व को लेकर विभिन्न पंचागों में अलग-अलग दिन बताए गए हैं। इनमें 25 अप्रैल को परशुराम जयंती और 26 को अक्षय तृतीया मनाना शास्त्र सम्मत कहा गया है।
Lord Parashurama Jayanti 2020
वहीं अक्षय तृतीया 26 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन रविवार पड़ रहा है। अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। 26 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 22 मिनट पर अक्षय तृतीया का प्रारंभ हो रहा है, जो 27 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इस बार लॉक डाउन के चलते अक्षय तृतीया पर शादी-विवाह जैसे मांगलिक आयोजन नहीं होंगे।
वहीं पवित्र रमजान माह का प्रारंभ चांद दिखाई देने के बाद ही होता है, अत: रमजान माह 24 या 25 अप्रैल से माना जा रहा है। इन दिनों खुदा की इबादत करके 30 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं और प्रतिदिन 5 वक्त की नमाज पढ़ी जाती है। इस बार कोरोना वायरस और लॉक डाउन के चलते घरों में ही नमाज अदा करेंगे और पूरी तरह लॉक डाउन के पालन करके इस पर्व को मनाएंगे।