इंदौर के पिकनिक स्पॉट तिंछाफाल में फिर दो युवा डूब गए। तिंछाफाल और पातालपानी में हर साल इस तरह की दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि इसका एक बड़ा कारण इस तरह के पिकनिक स्पॉट्स पर बदइंतजामी है, बल्कि सुरक्षा के कोई इंतजाम ही नहीं हैं, लेकिन क्या इसके पीछे युवाओं की जोखिम उठाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति नहीं है? क्या इसके पीछे सिर्फ उनका उफान मारता जोश तो है, लेकिन क्या सुरक्षा के उपायों व सावधानी की पूरी तरह अनदेखी कर जाना नहीं है?
क्या इसके पीछे वे सामाजिक तनाव और द्वंद्व नहीं है, जो युवाओं को मनोरंजन के खतरनाक रास्तों पर धकेलते हैं? क्या इन दुर्घटनाओं को पीछे रोमांच एवं जुनून की चकाचौंध कर देने वाला वह प्रसार-प्रचार नहीं है, जिसके लिए ज्यादा धन की जरूरत पड़ती है? और शायद इसीलिए युवा ज्यादा आसान और बिना धन के रोमांच हासिल करने के खतरे उठाते हैं? हमारे युवा अपने मजे के लिए बहुत बड़ी कीमत चुका रहे हैं।