सूर्यनाथ सिंह का उपन्यास 'चलती चाकी' में कश्मीर की समस्या को बहुत जीवंत ढंग से दिखाया गया है। सभी जानते हैं कि वहाँ का अमन-चैन छिन चुका है, लेकिन बहुत कुछ ऐसा है, जिसे लोग बहुत कम जानते हैं। कश्मीर में आतंक की चाकी चल रही है और लोग दो पाटों के बीच पिस रहे हैं। उपन्यास का नायक श्वेतानंद पुलिसिया आतंकियों का शिकार बनता है। उसे दहशतगर्द ठहराते हुए गिरफ्तार करके पुलिस चौकी लाया जाता है, जहाँ पुलिस के भ्रष्ट कर्मचारी श्वेतानंद को मुस्लिम दहशतगर्द बनाने के लिए उसका खतना तक कर देते हैं।
सूर्यनाथ सिंह ने कश्मीर की समस्या के साइड इफेक्ट्स बड़े ही विश्लेषणात्मक ढंग से सामने रखे हैं। कश्मीर की वर्तमान दशा और आम जनता के समीकरण समझाने में यह उपन्यास पूरी तरह सफल रहा है। यदि किसी को कश्मीर समस्या के गहन प्रभाव जाँचने हों तो उसे 'चलती चाकी' अवश्य पढ़ना चाहिए। ज्वलंत विषय के साथ ही भाषा एवं शैलीगत प्रवाह के कारण उपन्यास में अंत तक मन लगा रहता है।