अमिश त्रिपाठी की भगवान शिव पर आधारित ट्रायोलॉजी सीरिज का यह पहला उपन्यास है 'मेलुहा के मृत्युंजय'। यह कोई नीरस-सी पौराणिक कथा नहीं, बल्कि एक सुंदर कल्पना से देवों के देव महादेव को और वास्तविक रूप में दर्शाने का प्रयत्न है। यह कहानी एक प्राचीन देश मेलुहा की है, जो कई शताब्दी पहले भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया था।
'सूर्यवंशियों' की इस भूमि और सरस्वती नदी को 'चंद्रवंशी' एक श्रापित समूह 'नागा' के साथ मिलकर तबाह करना चाहते हैं। यहाँ के राजा दक्ष शिव और उनकी जनजाति 'गुनास' को चंद्रवंशियों के खिलाफ युद्ध में मदद करने के लिए निमंत्रण देते हैं।
मेलुहा के लोग अपने इस बलशाली रक्षक को नीलकंठ का नाम दे देते हैं, क्योंकि सोमरस पी लेने पर शिव का गला नीला हो जाता है। शिव की यह यात्रा न केवल पराक्रम को परिभाषित करती है, बल्कि साथ ही उन्हें अपने जीवन के लक्ष्य और एक नए रहस्य की ओर ले जाती है। युद्ध और उसका अचंभित करने वाला अंत आपको अगली पुस्तक पढ़ने के लिए मजबूर कर देगा। रहस्य और रोमांच से भरपूर शिव के इस मानव रूप की अनोखी कहानी को पढ़ना तो बनता है।