गंडा-ताबीज देने वाले के लिए दिशा-निर्देश * गंडा देन वाले मांत्रिक, तांत्रिक, ओझा या मौलवी का चरित्र साफ होना चाहिए तथा लाभ या कष्ट निवारण के लिए ही गंडा बनाकर देना चाहिए। * किसी का अनिष्ट या बुरा करने के उद्देश्य से कभी गंडा नहीं देना चाहिए, क्योंकि बुरे कर्म का फल भी बुरा ही होता है। * धन के लालची लोग दूसरों को पीड़ा पहुँचाने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते, किन्तु बाद में उन्हें इसका फल भोगना पड़ता है। * किसी को हानि पहुँचाना, पीड़ित करना अथवा रोगी बना देना, धन के लालच में ऐसा कृत्य करना सर्वथा निंदनीय है। * गंडे का निर्माण करने वाले को स्वच्छ रहना चाहिए व स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। * स्वच्छ व शुद्ध स्थान पर बैठकर गंडा बनाना या धारणकर्ता को देना चाहिए। * नीच व्यक्तियों के साथ वार्तालाप व उनका स्पर्श नहीं करना चाहिए। * झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए तथा जहाँ तक हो सके चुप रहना चाहिए। चित्त स्थिर व स्वस्थ रखना चाहिए। * किसी को शाप या आशीर्वाद नहीं देना चाहिए। अपना नित्यकर्म बराबर करते रहना चाहिए। * किसी भी धर्मशास्त्र की अथवा व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए। * निर्भय होना चाहिए और विश्वासपूर्वक कार्य करना चाहिए। * काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, हिंसा और असत्य से जहाँ तक हो सके, बचना चाहिए।
ध्यान दें : इन सभी दिशा-निर्देशों को उस समय भी ध्यान में रखना चाहिए, जबकि आप स्वयं पर ही गंडे का प्रयोग करें।