फलादेश- तुला राशि

(राशि के आद्याक्षर - र, रा, री, रू, रे, रो, रं, ता, त, तू, ते, तो ती)

आपकी जन्मकुंडली में चंद्रमा के साथ 7 अंक लिखा होने से ही आपकी जन्मराशि तुला मानी जाएगी। इस राशि का स्वामी शुक्र माना गया है। ये व्यक्ति विशेष रूप से शुक्र के प्रभाव में ही रहते देखे गए हैं। राशि चक्र में इस राशि का सातवाँ स्थान है।

इस राशि वाले सुनते सभी की हैं, किन्तु अपने विवेक के अनुसार ही हर कार्य करते हैं। आपकी योजनाएँ ही ऐसी होती हैं, जिससे दूसरों को कोई क्षति नहीं हो पाती। ये लोग न्यायप्रिय होते हैं, इसलिए इस राशि का मानचित्र 'तराजू' बताया गया है।

ये निष्कपट रहते हैं, दूसरों के धन की कभी भी अभिलाषा नहीं रखते हैं। बेईमानी व भ्रष्टाचार से हमेशा दूर रहते हैं। ईमानदारी से कार्य करने पर जो कुछ मिलता है, उसी में संतोष करते हैं। झूठी बात व अन्याय कभी सहन नहीं करते हैं। इन्हें भलाई का अच्छा फल नहीं मिल पाता है। जो जैसा करता है, उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं, यही इस राशि का उद्देश्य रहता है। चारित्र्य सम्पन्न, सत्यनिष्ठ, सात्विक मनोवृत्ति या शांत प्रकृति के पाए जाते हैं। सब तरह के शौकीन भी रहते हैं।

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