जनगणना 2011 के प्रारंभिक आँकड़े मध्यप्रदेश के लिए सुखद खबर के रूप में सामने आए हैं। यहाँ आबादी के बढ़ने की रफ्तार 2001-11 के दशक में चार फीसद घट गई है। जनसंख्या वृद्घि दर अब मात्र 20.3 प्रतिशत है। प्रदेश की कुल आबादी अब सवा सात करोड़ से ज्यादा हो गई है।
प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़कर 930 तो हो गई है, लेकिन छः वर्ष तक की आयु समूह में यह घटकर 912 ही रह गई है जो चिंता का सबब है। आबादी में इंदौर सबसे बड़ा जिला है।
जनगणना निदेशक सचिन सिन्हा ने बताया कि आबादी के मान से इंदौर सबसे बड़ा जिला बनकर उभरा है। यही जिला जनसंख्या वृद्घि दर के हिसाब से भी पहले स्थान पर है। यहाँ की आबादी 32 लाख 72 हजार से अधिक हो गई है। यह जिला पुरुषों की साक्षरता के मामले में भी अव्वल रहा है। यहाँ की 89.2 आबादी यानी 23 लाख 58 हजार 338 लोग साक्षर हैं।
लेकिन संभाग के लिहाज से इंदौर साक्षरता के मामले में निचली पायदान पर है। यहाँ के 64.4 प्रतिशत बाशिंदे ही साक्षर पाए गए हैं। प्रदेश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की तादाद 919 से ब़ढ़कर 930 हुई है। लेकिन रीवा, सिंगरौली और बालाघाट में पिछले सालों के मुकाबले यह खाई बढ़ी है।
साक्षरता की स्थिति में जबलपुर जिला अव्वल है, लेकिन पुरुष साक्षरता में इंदौर ने 89.2 प्रश के साथ बाजी मार ली है। इसी तरह महिला साक्षरता में भोपाल 76.6 प्रतिशत के साथ टॉप पर रहा है। सबसे कम आबादी वाला जिला हरदा रहा है। आलीराजपुर जिला भले ही साक्षरता के मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुआ हो लेकिन यहाँ बच्चियों की संख्या प्रति हजार पर 971 के साथ सर्वाधिक है।
बच्चों की संख्या में कमी : 2011 की जनगणना के आँक़ड़ों की तुलना यदि 2001 से की जाए तो शून्य से 6 साल तक के बच्चों की संख्या में 2 लाख 33 हजार 919 की कमी सामने आई है। जनसंख्या निदेशक सचिन सिन्हा ने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि अभी 1 करोड़ 5 लाख 48 हजार 295 बच्चे हैं, जो कुल प्रदेश की आबादी का 15.5 प्रतिशत हैं, जबकि 2001 में यह संख्या 1 करोड़ 7 लाख 82 हजार 214 थी। इसके मायने ये हुए कि पिछले दस सालों में इस आयु समूह के बच्चों की संख्या 2 लाख 33 हजार कम हुई है।
वद्धि दर 4 प्रतिशत घटी : प्रदेश में पिछले दस साल के दौरान जनसंख्या की वृद्घि दर में चार फीसद की कमी आई है। 2011 के प्रारंभिक आँकड़ों के मुताबिक प्रदेश में जनसंख्या वृद्घि दर 20.3 रही है। रीवा संभाग में जनसंख्या वृद्घि दर घटकर 21.5 रह गई है। पिछली जनगणना में यह 29.2 थी। उज्जैन संभाग में यह 24.4 से 16.8, सागर में 27.5 से 18.5 और भोपाल में 29.5 से 23 प्रतिशत आ गई है। शहडोल संभाग स्थिर स्थिति में बना हुआ है। यहाँ पिछली जनगणना में वृद्घि दर 18.5 दर्ज की गई थी जबकि इस बार यह 18.4 रही है। (नईदुनिया)