गम में भी हँसी ढूँढने वाला...

दीपक असीम
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मृत्यु में भी हँसी ढूँढने वाला... एक आदमी का निधन हो गया है, शोक प्रकट करने लोग आए हुए हैं। तभी उन्हीं में से एक आदमी नुक्ते यानी तेरहवीं के भोज की चर्चा करने लगता है। इसी में पैदा होती है हास्यास्पद बातें। ओम व्यास की बुद्धि इतनी पैनी थी कि हास्य कहीं भी हो, उनकी नज़र से बचता ही नहीं था।

वे ऐसी हास्यास्पद स्थितियों का वर्णन करते थे और अपनी टिप्पणियों के साथ उन वर्णनों को और मज़ेदार बना देते थे। यही मज़ेदार बातें उनकी कविताएँ होती थीं। कविता की जितनी भी परिभाषाएँ की गई हैं, उनमें से एक में रसपूर्ण बातों को भी कविता कहा गया है।

ओम व्यास रसपूर्ण बातों के कवि थे। उनकी कविता में छंद, तुक और दीगर बातें चाहे न मिलें, पर रस होता था। ओम व्यास के न होने की खबर आई है और लगता है कि वे ये मौका चूकेंगे नहीं। अपने सूक्ष्म शरीर में वे अपनी मृत देह के पास मौजूद रहेंगे और हर हास्यास्पद बात को पकड़ेंगे। पहले खुद उन पर हँसेंगे फिर दूसरों को हँसाएँगे, फिर उसे कविता बनाकर कवि सम्मेलन में सुनाएँगे।

हिन्दी कवि सम्मेलन के मंच पर बहुत से लोग हास्य पैदा करते हैं, पर ओम व्यास की बारीकी उनके पास नहीं है। उनके जाने से हास्य कवि सम्मेलनों का एक सितारा बेवक्त टूट गया है। मालवी मन को समझने के लिए पता नहीं कब दूसरा ओम व्यास पैदा होगा।