Summer Diseases : गर्मी का मौसम आते ही हमें जहां एक तरफ गर्मी से राहत पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करने पड़ते हैं, वहीं दूसरी तरफ कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्मियों में शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक, फूड पॉइजनिंग और कई तरह की संक्रामक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इस लेख में हम गर्मियों में होने वाली 10 आम बीमारियों के बारे में जानेंगे, उनके लक्षणों को पहचानेंगे और उनसे बचने के उपायों के बारे में भी जानेंगे। ALSO READ: लू लगने से आ सकता है हार्ट अटैक, जानें दिल की सेहत का कैसे रखें खयाल
1. डिहाइड्रेशन:
गर्मियों में शरीर से पसीने के जरिए पानी की कमी हो जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। डिहाइड्रेशन के लक्षणों में प्यास लगना, थकान, सिरदर्द, चक्कर आना और मांसपेशियों में ऐंठन शामिल हैं। गंभीर मामलों में डिहाइड्रेशन से किडनी फेलियर और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
बचाव:
दिन भर में खूब सारा पानी पिएं, भले ही आपको प्यास न लगे।
फलों और सब्जियों का सेवन करें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
मीठे पेय पदार्थों और कैफीन से बचें, क्योंकि ये शरीर को डिहाइड्रेट करते हैं।
बाहर निकलने पर छाता या टोपी पहनें और धूप में ज्यादा देर न रहें।
2. हीट स्ट्रोक:
हीट स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति है जो तब होती है जब शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है और शरीर उसे नियंत्रित नहीं कर पाता है। हीट स्ट्रोक के लक्षणों में तेज बुखार, तेज सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी, मतिभ्रम और बेहोशी शामिल हैं।
बचाव:
गर्मियों में धूप में ज्यादा देर न रहें।
ढीले-ढाले, हल्के रंग के कपड़े पहनें।
दिन के सबसे गर्म समय में बाहर निकलने से बचें।
खूब सारा पानी पिएं और ठंडी जगह पर आराम करें।
3. फूड पॉइजनिंग:
गर्मियों में खाने-पीने की चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। फूड पॉइजनिंग के लक्षणों में उल्टी, दस्त, पेट दर्द, बुखार और कमजोरी शामिल हैं।
बचाव:
पका हुआ खाना ही खाएं और उसे ढककर रखें।
कच्चे फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं।
मांस और मछली को अच्छी तरह से पकाएं।
बाहर का खाना खाने से बचें।
4. टाइफाइड:
टाइफाइड एक संक्रामक बीमारी है जो दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलती है। टाइफाइड के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और भूख न लगना शामिल हैं।
बचाव:
केवल साफ पानी पिएं।
पका हुआ खाना ही खाएं।
कच्चे फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं।
टाइफाइड का टीका लगवाएं।
5. हेपेटाइटिस ए:
हेपेटाइटिस ए भी एक संक्रामक बीमारी है जो दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलती है। हेपेटाइटिस ए के लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना, उल्टी, दस्त और पीलिया शामिल हैं।
बचाव:
केवल साफ पानी पिएं।
पका हुआ खाना ही खाएं।
कच्चे फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं।
हेपेटाइटिस ए का टीका लगवाएं।
6. डेंगू:
डेंगू एक मच्छर जनित बीमारी है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, उल्टी और रैशेज शामिल हैं।
बचाव:
मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
7. मलेरिया:
मलेरिया भी एक मच्छर जनित बीमारी है जो एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है। मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और उल्टी शामिल हैं।
बचाव:
मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
मलेरिया की दवा लें, अगर आपको मलेरिया होने का खतरा है।
8. चिकनगुनिया:
चिकनगुनिया भी एक मच्छर जनित बीमारी है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलती है। चिकनगुनिया के लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और रैशेज शामिल हैं।
बचाव:
मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
9. स्वाइन फ्लू:
स्वाइन फ्लू एक वायरल संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा ए वायरस के एक विशेष प्रकार से फैलता है। स्वाइन फ्लू के लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक बहना, शरीर में दर्द और थकान शामिल हैं।
बचाव:
भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
बार-बार हाथ धोएं।
खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकें।
स्वाइन फ्लू का टीका लगवाएं।
10. हेपेटाइटिस ई:
हेपेटाइटिस ई एक वायरल संक्रमण है जो दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलता है। हेपेटाइटिस ई के लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना, उल्टी, दस्त और पीलिया शामिल हैं।