जिजीविषा

ND
जो,
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी,
जीने का दम-खम रखते हैं।
किसी प्राचीन मंदिर के
शिखर पर स्थित,
पीपल के पौधे को देखो,
जिसे आँधी और तूफान
निरंतर नष्ट करने का प्रयास
करते हैं।
फिर भी, बिना जमीन के,
पत्थर की छाती पर पैर रखे,
जीवित रहता है।
ND
छत पर पड़ा, मकई का भुट्टा,
हवा के साथ आई मिट्टी
और बरसात का आसरा ले
अंकुरित हो जाता है।
मानव! क्यों तनिक प्रतिकूलता से
घबरा जाता है?
कोसता है, अपने भाग्य और विधाता
को।
आत्मदाह का चिंतन करता है।
क्यों कमजोर हो जाती है
उसकी जिजीविषा?

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