वाणी दवे बहुधा एक जुमले का प्रयोग होता है-'बड़ी मछली हमेशा छोटी मछली को खाती है' कहने को तो इसमें शोषण की कहानी लगती है। लेकिन उस समंदर में यह रोजमर्रा का हिस्सा मात्र था। तलहटी के टीले में छुपकर बैठी सितारा मछली नन्ही, रंग-बिरंगी मछलियों को अपना शिकार बनाए रहती। यह व्यवस्था उसकी जिंदगी को हर दिन आगे बढ़ाती थी।
एक दिन शिकार के दौरान वह मछली को निगल तो गई लेकिन वह विषैली थी। कुछ घंटे भी न गुजरे थे कि वह तड़पने लगी। दूसरी मछलियों के झुंड को जैसे आज का आहार दिखाई देने लगा था और वे उस पर हमला करने की तैयारी करने लगीं। मृत्यु को सामने देख सितारा मछली समझ चुकी थी कि कोई भी मछली छोटी नहीं होती।