सौंफ के गुणकारी उपयोग

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*सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है।

* बेल का गूदा 10 ग्राम और 5 ग्राम सौंफ सुबह-शाम चबाकर खाने से अजीर्ण मिटता है और अतिसार में लाभ होता है।

* सौंफ 50 ग्राम व जीरा 50 ग्राम हल्का भूनकर 25 ग्राम काला नमक मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें। भोजन के बाद कुनकुने पानी में लें। यह उत्तम पाचक चूर्ण है।

* सौंफ का अर्क 10 ग्राम शहद में मिलाकर लें। खाँसी में आराम मिलेगा।

* सौंफ 25 ग्राम, छोटी हरड़ 50 ग्राम, मिश्री या चीनी 50 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लें। रात्रि को सोते समय 5 ग्राम मात्रा में कुनकुने जल में लें। कब्ज दूर होगा, मंदाग्नि दूर होगी, गैस व आफरा में आराम मिलेगा।

* यदि आपको पेट में दर्द होता है तो भुनी हुई सौंफ चबाइए। आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए, इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।

* पेट में वायु का प्रकोप हो तो दाल अथवा सब्जी में सौंफ छोंककर कुछ दिनों तक प्रयोग कीजिए।

* यदि कब्ज की शिकायत हो तो रात्रि में सोते समय गुनगुने पानी के साथ सौंफ के चूर्ण का इस्तेमाल करें।

* यदि आपको खट्टी डकारें आ रही हों तो थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो-तीन बार प्रयोग से आराम मिल जाएगा।

* हाथ-पाँव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

* जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी कच्ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें।

* कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएँ।

* गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है।

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