समुद्री मार्गों पर सबका समान अधिकार हो

शनिवार, 2 जून 2012 (19:29 IST)
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दक्षिण चीन सागर क्षेत्र को लेकर जारी विवादों के बीच भारत ने कहा कि समुद्री स्वतंत्रता केवल कुछ देशों के विशेषाधिकार में नहीं आ सकती और समुद्री मार्गों पर सभी का इस्तेमाल सुनिश्चित होना चाहिए।

क्षेत्र में चीनी जमावड़े की तरफ स्पष्ट संकेत करते हुए रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा कि वैश्वीकरण और परस्पर निर्भरता के इस युग में अंतरराष्‍ट्रीय व्यापार और वैश्विक सुरक्षा के लिए देशों के अधिकार और विस्तृत वैश्विक समुदाय की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।

सिंगापुर में एंटनी ने कहा कि भारत ने हमेशा समुद्री स्वतंत्रता से जुड़े अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पालन किया है और इनकी वकालत की है। साथ ही जहां जरूरी हुआ, वहां भारत ने अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता पर जोर दिया। इस संगोष्ठी में दक्षिण चीन सागर से संबंधित हालिया घटनाएं चर्चा के केंद्र में रहीं।

भारत ने चीन के सैन्य खर्चों में वृद्धि को लेकर चिंता जताई, लेकिन साथ ही कहा कि वह चीन को खतरा नहीं मानता। रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा कि चीन ने अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ा ली हैं और रक्षा पर खर्च में और वृद्धि की है। हम इसे लेकर चिंतित हैं।

हालांकि भारत हथियारों की होड़ में विश्वास नहीं करता, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हम भी अपने तरीके से अपनी सीमाओं पर अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं। भारत चीन के साथ स्थिर संबंध चाहता है और दोनों देशों ने सैन्य सहयोग शुरू कर दिया है।

एंटनी ने कहा कि हमारे बीच सेना के स्तर पर संपर्क है। अब हमने अपनी नौसेनाओं के बीच भी संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया है। भारत की तरह जापान ने भी चीन के रक्षा खर्च में हो रहे भारी वृद्धि पर चिंता जताते हुए कहा कि चीन के रक्षा खर्च के मुद्दे पर पारदर्शिता का अभाव है और इससे संबंधित गोपनीयता खतरनाक है।

चीन का सैन्य बजट इस साल 11 प्रतिशत बढ़कर 106 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है। इस विषय के दो आवश्यक पहलू हैं। पहला पहलू हमारे क्षेत्रों की सुरक्षा से एवं समुद्री खतरों से जुड़ा है और दूसरा पहलू पारंपरिक समुद्री स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सभी के समान अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है।

एंटनी ने चीन और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान के सदस्य देशों से दक्षिण चीन सागर विवाद को आपस में चर्चा कर सुलझाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि भारत चर्चा में शामिल सभी पक्षों के प्रयासों और हाल ही में चीन और आसियान के बीच '2002 डिक्लरेशन ऑफ दि कंडक्ट ऑफ पार्टीज' समझौते के दिशा-निर्देशों पर बनी सहमति का स्वागत करता है।

भारत को उम्मीद है कि ये मुद्दे बातचीत के द्वारा सुलझा लिए जाएंगे। (भाषा)

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