दूरसंचार मामलों के विशेषज्ञ सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत को खपत आधारित अमेरिकी आर्थिक मॉडल की जगह विकास का स्वदेशी मॉडल विकसित करना चाहिए जिसमें कम लागत वाले उपायों पर जोर हो। विकास का अमेरिकी मॉडल देश के लिए उपयुक्त नहीं है।
पित्रोदा ने कहा कि मेरा निजी तौर पर मानना है कि खपत आधारित अमेरिकी मॉडल आधारित अर्थव्यवस्था हमारे जैसे देशों के लिये उपयुक्त और सतत नहीं है।
माइक्रोसाफ्ट द्वारा आयोजित टेक ईडी 2010 में शामिल प्रतिनिधियों को शिकागो से टेलीकांफ्रेन्सिंग के जरिये संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की अपनी चुनौतियाँ हैं और देश को ऐसे मॉडल की जरूरत है जिसमें कम लागत वाले उपायों पर जोर हो।
उन्होंने कहा कि हमें खुद से नए तरीके खोजने की पहल करनी चाहिए। भारत को शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास के नये माडल पर गौर करने की जरूरत है। सार्वजनिक सूचना बुनियादी ढाँचा और नई ईजाद मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार पित्रोदा ने कहा कि भारत का ग्रामीण क्षेत्र शहरी केंद्रों के लिए आउटसोर्सिंग हब बन सकता है।
उन्होंने कहा कि जब बेंगलुरु अमेरिकी कंपनियों के हिसाब-किताब का कार्यालय बन सकता है तो फिर हमारे ग्रामीण क्षेत्र क्यों नहीं शहरी केंद्रों के लिए इस प्रकार के कार्यालय बन सकते।
पित्रोदा के अनुसार कंप्यूटरीकरण, ई-फाइल्स और ब्राडबैंड के इस युग में व्यस्त और महँगे शहरों में सरकारी दफ्तरों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का निर्माण इस प्रकार की सरकारी सेवाओं के लिए मददगार हो सकता है।
पित्रोदा ने कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के पहले चरण की क्रांति देश में खत्म होने वाली है और दूसरे चरण की शुरुआत होने वाली है। इस दूसरे चरण का समाज पर व्यापक असर होगा। (भाषा)