भारत ने आज जी20 देशों विशेषकर इसके धनी सदस्यों को बताया कि वैश्विक असंतुलन तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतार-चढ़ाव में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने धनी तथा प्रमुख विकासशील देशों के इस संगठन के वित्तमंत्रियों की बैठक के पहले सत्र में कहा कि भारत की स्थिति यह है कि उसने वैश्विक असंतुलन बनने या उसके बने रहने में किसी तरह का योगदान नहीं किया।
उन्होंने कहा, 'न ही इसका उस उतार चढ़ाव में किसी तरह का योगदान है जो हम जिंस बाजारों सहित कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में देख रहे हैं।' नवीनतम अनुमानों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2010-11 में 8.6 प्रतिशत रहेगी और भारतीय विकास गाथा फिलहाल यूँ ही तेजी से बढ़ती रहेगी।
मुखर्जी ने कहा कि भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था मौसमी कारकों तथा खाद्य कीमतों पर उसके असर से प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि मौसम की अनिश्चितता के कारण भारत में उँची तथा अस्थिर खाद्य उत्पाद मुद्रास्फीति देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि से खपत पैटर्न में बदलाव का कुछ असर भी खाद्य मुद्रास्फीति पर रहा है।
मुखर्जी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य जिंसों की उँची कीमतों के चलते भारत को खाद्य मुद्रास्फीति से निपटने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिले।
बैठक में चालू खाता घाटे जैसे मानक तय करने तथा वैश्विक असंतुलन पर नियंत्रण जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। मुखर्जी ने कहा कि भारत भाग्यशाली है कि वृद्धि का मौजूदा चरण कुल मिलाकर एक तरफ तो खपत एवं निवेश तथा दूसरी ओर घरेलू माँग तथा बाह्य माँग के बीच संतुलित रहा है।
फेडरल रिजर्व के प्रमुख बेन बनाक ने कल वैश्विक जिंस कीमतों में तेजी के लिए उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं को दोषी ठहराया था। (भाषा)