देश में केवल 56 प्रतिशत वेतनभोगी कर्मचारियों के पास खुद का मकान है, भले ही वे सालाना 10 लाख रुपए से अधिक कमाते हों। यह इस बात का संकेत है कि देश में अधिकतर वेतनभोगी मकान खरीदने को निवेश तथा कर योजना का अच्छा विकल्प नहीं मानते।
ऑनलाइन टैक्स रिटर्न फाइलिंग पोर्टल टैक्सस्पेनर ने अपनी रपट ‘इंडिया टैक्स रेश्यो 2012’ में यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अनुसार 10 लाख से अधिक सालाना आय वालों में से 56 प्रतिशत के पास मकान हैं, जबकि 10 लाख से कम सालाना आय वालों में यह केवल 13 प्रतिशत है।
इसके सर्वेक्षण में शामिल वेतनभोगी कर्मचारियों का कहना है कि 5 लाख रुपए से कम सालाना आय वाले 6.8 प्रतिशत कर्मचारियों के पास ही मकान है।
फर्म का कहना है कि इस अध्ययन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु व हैदराबाद सहित प्रमुख शहरों की 500 कंपनियों के कर्मचारियों ने भाग लिया।
टैक्सस्पेनर के सीईओ अंकुर शर्मा ने कहा कि यह आंकड़ा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कुछ प्रतिशत लोग ही अपने करियर की शुरुआत में मकान खरीदने को निवेश व कर बचाने का अच्छा विकल्प मानते हैं। (भाषा)