विकसित देशों में भारत का रुतबा बढ़ा-मनमोहन

रविवार, 16 नवंबर 2008 (19:24 IST)
जी-20 सम्मेलन के सदस्यों के बीच विकासशील देशों के लिए अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध कराने पर आम सहमति बनी है, ताकि वैश्विक मंदी के बावजूद आर्थिक वृद्धि दर को बरकरार रखा जा सके। मंदी के बावजूद आर्थिक वृद्धि दर बनाए रखने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी।

यह बात प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने कही। जी-20 देशों के सम्मेलन के बाद स्वदेश लौटते हुए एअर इंडिया के विशेष विमान में उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं वैश्विक स्तर पर मंदी है, लेकिन इसके बावजूद भारत साढ़े सात प्रतिशत की विकास दर बनाए रखने में कामयाब रहेगा। सरकार आर्थिक स्तर पर कड़ी निगरानी रख रही है।

आर्थिक मोर्चे पर निर्यात में कमी और विदेशी पूँजी का कम आगमन कुछ परेशानी खड़ी कर सकता है। सरकार ने बाजार में पूँजी की तरलता बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए और भविष्य में भी सभी जरूरी उपाय हम करेंगे।

सम्मेलन को सफल करार देते हुए डॉ. सिंह ने कहा सम्मेलन से साफ हो गया है कि भूमंडलीकरण के बावजूद कोई भी एक देश पूरी दुनिया को संचालित नहीं कर सकता। ऐसे में विकासशील देशों की भूमिका बढ़ गई है और पूरी दुनिया विकासशील देशों को ज्यादा तवज्जो देती है।

विकसित देशों के सम्मेलन में अब भारत की आवाज प्रमुखता से सुनी जाती है। उन्होंने कहा विकासशील देशों के विकास के बिना संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता। विकासशील देश एकजुट होने लगे हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं।

उन्होंने कहा आर्थिक मंदी के इस दौर में निजी पूँजी का प्रवाह कम हुआ है। ऐसे में आईएमएफ और विश्व बैंक की जिम्मेदारी बनती है कि वे विकासशील देशों को पर्याप्त मात्रा में पूँजी उपलब्ध कराएँ।

उन्होंने इस साल वैश्विक मंदी की छाया तो हर देश पर कम या ज्यादा जरूरी होगी, लेकिन इसके बावजूद सरकार बजट घाटे को लेकर ज्यादा आशंकित नहीं है, क्योंकि भारतीय बाजार में पर्याप्त तरलता है और सरकार ने किसानों का ऋण माफ करने से लेकर कई सामाजिक योजनाओं को लागू करने में सफलता प्राप्त की है।

प्रधानमंत्री ने कहा महँगाई अब बड़ी समस्या नहीं रह गई है, क्योंकि सरकार ने महँगाई कम करने के लिए समय-समय पर कदम उठाए हैं और आने वाले दिनों में कई चीजों की कीमतों को नियंत्रण में कर लिया जाएगा।

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