पूँजी बाजार और बीमा क्षेत्र के नियामक सेबी और इरडा के बीच जारी विवाद को सुलझाने के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं और उम्मीद है कि जल्द ही अदालत के बाहर इसका कोई हल निकाल लिया जाएगा। एचडीएफसी चेयरमैन दीपक पारेख ने यह उम्मीद व्यक्त की है।
पारेख ने सेबी और इरडा को मामला अदालत में ले जाने की अनुमति देने के लिए सरकार की भी आलोचना की।
उन्होंने मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मुझे बताइए, दुनिया में ऐसा कहीं होता है क्या, जहाँ दो नियामक आपस में लड़ते हैं। इससे हम हंसी के पात्र बन गए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त मंत्रालय अगले कुछ दिनों में मामले का हल निकाल लेगा और मामला अदालत से वापस ले लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों की यूनिट आधारित बीमा योजनाओं को लेकर पूँजी बाजार नियामक सेबी ने कहा था कि इनका नियमन उसके अधिकार क्षेत्र में होना चाहिए और बीमा कंपनियों को ऐसे उत्पाद जारी करने से पहले उसके पास पंजीकरण कराना चाहिए।
बीमा नियामक इरडा ने सेबी के इस आदेश पर कड़ी आपत्ति की और कहा कि बीमा कंपनियाँ उसके नियमन दायरे में आती हैं इसलिए उन्हें सेबी का आदेश नहीं मानना चाहिए।
पारेख ने कहा कि सेबी और इरडा की अपनी दलीलें हैं। लेकिन दोनों को थोड़े-थोड़े कदम पीछे खींचने होंगे और इसी से मामले का हल होगा।
उन्होंने ने कहा कि हम (एचडीएफसी) दोंनों क्षेत्रों में हैं, बीमा और म्युचवल फंड कारोबार दोंनों क्षेत्रों में हैं और दोनों तरफ से हम पर असर पड़ रहा है। दोनों नियामकों के अपने-अपने मुद्दे हैं।
बहरहाल, उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय इस मामले में निर्णय लेगा। मामले पहले ही न्यायालय में नहीं जाना चाहिए था। अब सरकार को लगता है कि न्यायालय में इस के निपटारे में लंबा समय लग सकता है। (भाषा)