दिन भद्रा यदा रात्रौ, रात्रि भद्रा यदा दिन न त्याज्या शुभकार्यषु प्राहरेवं पुरातनाः॥
-अर्थात रात्रि को लगी भद्रा दिन में हो एवं दिन में प्रारंभ हुई भद्रा रात्रि में हो तो शुभ होती है। इस बार राखी पर भद्रा रात्रि में प्रारंभ हो रही है अतः शुभ है।
रक्षाबंधन का पर्व 5 अगस्त 09, बुधवार को पूरे दिवस मनाया जा सकता है। इसमें भद्रा आदि का कोई दोष प्रभावकारी नहीं है। शास्त्रीय प्रमाण इस प्रकार हैं :-
1. पूर्णिमा की भद्रा वृश्चिकी भद्रा कहलाती है एवं इस भद्रा के अंतिम तीन घटी अर्थात 72 मि. ही नेष्ट हैं। इसके अनुसार वृश्चिक का विष रक्षाबंधन को सायं 4 बजकर 1 मि. से 5 बजकर 13 मि. का समय ही नेष्ट है।
2. शास्त्रकारों का स्पष्ट मत है कि बुधवार को देवगणीय भद्रा मंगलकारणी होती है। इस अनुसार इस वर्ष देवगणीय नक्षत्र श्रवण दिन में 10 बजकर 44 मि. से दिवसपर्यंत है, जो कि श्रेष्ठतम समय है।
3. मकर राशि की भद्रा का निवास पाताल में होने से शुभकारक रहता है। रक्षाबंधन को यह योग दिवसपर्यंत रहेगा।
उक्त प्रमाणों को ध्यान में रखकर भाई-बहन इस पवित्र पर्व को निर्भय होकर पूरे दिवस आनंद से मनाएँ। यही ज्योतिष शास्त्र का मार्गदर्शन है। (नईदुनिया)