आईटी कंपनियां बदनाम करने के लिए लेती हैं सुपारी

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कोबरा पोस्ट ने सोशल मीडिया के प्रयोग को लेकर एक स्टिंग ऑपरेशन कर सनसनीखेज खुलासा किया है। कोबरा पोस्ट के अनुसार आईटी कंपनियां ट्‍विटर, फेसबुक और अन्य सोशल ने‍टवर्किंग साइट्‍स के जरिए बदनाम करने की सुपारी लेती हैं।

कोबरा पोस्ट ने अपने खुफिया कैमरे में ऐसी 22 कंपनियों का पर्दाफाश किया है। स्टिंग ऑपरेशन ऑपरेशन ब्‍लू वायरस के जरिए इस कोबरा पोस्ट ने यह भी खुलासा किया है कि आईटी कंपनियां किन-किन कामों के लिए सुपारी ले रही हैं।

कोबरा पोस्ट ने इसके लिए एक स्टिंग ऑपरेशन किया, उसमें यह बात सामने आई कि पैसे लेकर लोगों को बदनाम करने के लिए आईटी कंपनियां सुपारी लेती हैं।

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वेबसाइट कोबरापोस्ट ने खुलासा किया है इसके लिए कुछ लाख से लेकर करोड़ों रुपए तक की डील होती है। इन कंपनियों का काम किसी को भी बदनाम करने के लिए फर्जी वीडियो बनाना, वीडियो बनाकर यू-ट्यूब के जरिए उसका प्रचार करना है।

नेताओं और सरकार के खिलाफ अभियान चलाना, वोटिंग से पहले अचानक विरोधी नेता पर कीचड़ उछलवाना, नेता की फर्जी तस्वीरों-वीडियो के जरिए उसे बदनाम करना, बदनाम करने के लिए एसएमएस अभियान चलाना। किसी भी तरह की अफवाह फैलाना, दंगा फैलाने के लिए झूठी बातों-तस्वीरों का प्रचार।

झूठे आरोप लगवाकर नौकरी से निकलवाना, फर्जी आरोप लगवाकर शादी तुड़वाना शामिल है। कोबरा पोस्ट ने मुताबिक आईटी कंपनियों का कहना है कि हमारे ऊपर आचार संहिता लागू नहीं होती है।
खोजी पत्रकारिता करने वाली कोबरा पोस्ट ने साइबर सुपारी यानी पैसे लेकर किसी की छवि को सोशल मीडिया के जरिए खराब करने का सनसनीखेज खुलासा किया है।

कोबरापोस्ट के अनिरुद्ध बहल ने पत्रकार वार्ता में इसका खुलासा किया। खुलासे के अनुसार पैसे लेकर ये आईटी कंपनियां न सिर्फ बदनाम कर सकती हैं बल्कि किसी को फर्जी तरीके से इतना मशहूर भी कर सकती हैं कि आप भ्रम में पड़ जाएं कि ये आदमी इतना मशहूर कैसे हो गया। यह करने के लिए भी एक खास तरीका होता है।
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किसी को मशहूर करने के लिए आईटी कंपनियां व्यक्ति का फर्जी फेसबुक पेज बनाया जाता है। फिर इस पेज को अपने कर्मचारियों से लाइक कराया जाता है और दूसरों के लाइक खरीदे जाते हैं। वायरस की मदद से लाइक बढ़ाए जाते हैं।

वायरस के जरिए फेसबुक फ्रेंड बढ़ाए जाते हैं। वायरस के जरिए ट्विटर पर फॉलोअर बढ़ाए जाते हैं। प्रमोशनल वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किया जाता है। यूट्यूब वीडियो पर फर्जी लाइक किए जाते हैं। लाखों की तादाद में दूसरों को एसएमएस किए जाते हैं। प्रचार के लिए ईमेल भेजा जाता है

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आईटी कंपनियां किसी व्यक्ति का फर्जी नेता का फेसबुक पेज बनाकर, उसके लाखों फॉलोअर बनाती हैं। फर्जी प्रोफाइल बनाकर लाखों लाइक खरीदती हैं। ट्विटर पर फॉलोअर भी बनाए जाते हैं। मुस्लिम लोगों के फर्जी प्रोफाइल बनवाना, मुस्लिमों के फर्जी प्रोफाइल से नेता की तारीफ करवाना। नेता के खिलाफ पेज पर कोई कमेंट न आए यह देखना। विरोधी नेता के खिलाफ अभियान चलाना। नेता को उसके वोटबैंक के बारे में सारा डाटा देना।

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वेबसाइट कोबरापोस्ट ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल करने वाली आईटी कंपनियां अपनी पहचान छिपाने के लिए आईटी कंपनियां अमेरिका या कोरिया के सर्वर से प्रचार अभियान छेड़ती हैं, ताकि यह पता न चल सके कि कहां से प्रचार शुरू हुआ है।

अगर किसी को बदनाम करना है तो इसके लिए आईटी कंपनियां, जिस कम्प्यूटर से बदनाम करने का काम करती हैं, उस कम्प्यूटर को काम पूरा होने के बाद तोड़ दिया जाता है। आईटी कंपनियां किसी की गिरफ्त में न आ सके इसके लिए हर घंटे जगह बदली जाती है, ताकि लोकेशन का पता ना लगे। दूसरे के कंप्यूटर को हैक किया जाता है।

आईटी कंपनियां लोगों को बल्क एसएमएस भेजने के लिए मोबाइल की जगह इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। ये कंपनिया ग्राहक की पहचान छिपाने के लिए सिर्फ नकद में पैसा लेती हैं। (एजेंसियां)

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