भारतीय मेधा की उड़ान

रविवार, 19 अक्टूबर 2008 (16:06 IST)
-वेबदुनिया डेस्
चाँद पर भेजे जाने वाले भारत के महत्वाकांक्षी मिशन की तैयारी अंतिम दौर में चल रही है। चंद्रयान मिशन की पहली उड़ान में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी ने इसे भारत के लिए काफी अहम बना दिया है। इस तरह यह भारत के अलावा विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों के पेलोड या साजो-समान अपने साथ ले जाएगा। इनमें अंतरिक्ष से पृथ्वी और चाँद पर नजर रखने वाले तमाम उपकरण होंगे।

अपनी इसी योजना के तहत इसरो ने पेलोड के प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। इसके बेहतर नतीजे भी देखने को मिले। भारतीय वैज्ञानिकों के पास दुनियाभर की अंतरिक्ष कंपनियों के प्रस्ताव आए। इनमें अमेरिकी, रूसी, इसराइल और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) भी शामिल हैं।

अमेरिका जैसी स्पेस सुपरपॉवर का भारत के इस पहले अभियान में भागीदारी की इच्छा रखना इस बात का संकेत है कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की पूरी दुनिया में किस तरह की छवि है। भारत के लिए यह आर्थिक तौर पर फायदेमंद साबित होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस मिशन में भारत से ज्यादा उत्साह विदेशों में दिखाया जा रहा है।

चंद्रयान-1 के साथ भेजने के लिए 11 पेलोड चुने गए हैं। इनमें से पाँच भारत के होंगे, बाकी विदेशी। भारत के पेलोडों में एक टैरेन मैपिंग कैमरा, खनिजों की मैपिंग के लिए एक हाइपरस्पैक्ट्रल इमेजर, एक ल्यूनर रेंजिंग इंस्ट्रूमेंट और एक हाई एनर्जी एक्स-रे स्पैक्ट्रोमीटर जो चाँद पर गैसीय स्रोंतों की पड़ताल करेगा।

इसके अलावा चंद्रयान-1 एक 29 किलो का मून इंपैक्ट प्रोब चाँद की सतह पर छोड़ेगा। इससे अगले मिशन में उतरने की जगह तय करने में सहायता मिलेगी। यह प्रोब पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पहल पर शामिल किया गया है। इसके एक तरफ भारतीय तिरंगा और दूसरी तरफ संस्कृत का एक श्लोक लिखा है। विदेशी पेलोडों में तीन यूरोपियन स्पेस एजेंसी के, दो नासा के और एक बुल्गारिया का है।

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