केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार रात एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में आतंकवाद से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
प्रधानंमत्री डॉ. मनमोहनसिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसके लिए गैर कानूनी गतिविधियाँ (उन्मूलन) अधिनियम 1967 में संशोधन किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। गौरतलब है मुंबई में गत 26 नवम्बर को हुए आतंकवादी हमलों के बाद एक बार फिर इस तरीके की एजेंसी गठित किए जाने के प्रस्ताव ने जोर पकड़ा था।
एक अन्य फैसले में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अधिनियम में भी संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
दोनों विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किए जाएँगे। सूत्रों के अनुसार काफी समय से यह बात महसूस की जा रही थी कि आतंकी मामलों की जाँच प्रक्रिया बहुत जटिल तथा लंबी खिंचने वाली होती है, इसलिए एक समन्वित एजेंसी इस तरह के आपराधिक मामलों की जाँच के लिए गठित की जाए, लेकिन अनेक राज्य संघीय अपराधों की श्रेणी को लेकर संघीय जाँच एजेंसी के गठन से असहमत थे।
गौरतलब है संघीय अपराधों की जाँच के लिए इस तरह की एक जाँच एजेंसी बनाए जाने का प्रस्ताव काफी समय से विचाराधीन है, लेकिन अनेक राज्यों ने अपराधों को संघीय सूची में डाल कर उनकी जाँच केन्द्रीय जाँच एजेंसी को दिए जाने पर असहमति व्यक्त कर चुके हैं, लेकिन मुंबई आतंकी हमलों के बाद इस मसले पर सहमति सी प्रतीत हुई। उसी के बाद सरकार ने इस जाँच एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को संसद में पेश किए जाने का फैसला किया।
गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने इस मसले पर आम सहमति कायम करने की दृष्टि से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी से भी मंत्रणा की थी।