पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर कोपनहेगन में अगले हफ्ते होने वाले शिखर सम्मेलन में वर्ष 2020 को सर्वाधिक उत्सर्जन वाला साल बताने वाले डेनमार्क के मसविदा प्रस्ताव को आगे बढ़ाया गया तो यह वार्ता के अंत की तरह होगा।
रमेश ने कहा‘अगर डेनमार्क का मसविदा प्रस्ताव कोई संकेत है, तो हम भविष्य में किसी तरह की वार्ता की गुंजाइश नहीं होने की स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं। गलत अनुमानों पर आधारित यह मसविदा हमें कतई स्वीकार नहीं है।’
उन्होंने कहा कि चीन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों ने बीजिंग में अपना मसविदा तैयार किया है, जो भारत की उम्मीदों और उद्देश्यों के ज्यादा निकट है।
रमेश ने कहा‘इसे जी-77 का समर्थन मिलना अभी बाकी है। इसका कल कोपनहेगन में विमोचन किया जाएगा। इसमें हमारे नजरिए और गैर-समझौतावादी रुख को सामने रखा गया है।’
हाल में चीन की दो दिन की यात्रा करके लौटे रमेश ने हाल में अपने ब्राजीली और दक्षिण अफ्रीकी समकक्षों के साथ 10 पेज के मसविदे पर हस्ताक्षर किए थे। इस मसविदे को पश्चिमी देशों द्वारा अगले हफ्ते जारी किए जाने वाले प्रस्ताव के मुकाबिल बनाया गया दस्तावेज माना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव हमारी उम्मीदों और आकांक्षाओं के अनुरूप है।
आगामी सात दिसम्बर को कोपनहेगन में होने वाले शिखर सम्मेलन में पश्चिमी देशों के प्रस्ताव पर ही चर्चा होने की सम्भावना है।(भाषा)