धरोहरों का संरक्षण सबकी जिम्मेदारी- एलेक्जेंड्रा

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ग्वालियर की सांस्कृतिक धरोहरें प्राचीन होने के साथ-साथ सहेजने योग्य हैं, जिनका संरक्षण करना हम सबकी जिम्मेदारी है। ये विचार फ्रांस से आईं सुश्री एलेक्जेंड्रा विगनन ने स्कूल में बच्चों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

भारतीय पर्यटन व संस्कृति पर शोध कर रहीं सुश्री एलेक्जेंड्रा विगनन पेरिस के सोरबोनी विश्वविद्यालय से सांस्कृतिक धरोहरों पर अध्ययन करने के लिए ग्वालियर प्रवास पर आई हुई हैं। ग्वालियर प्रवास के दौरान उन्होंने एमएलबी कॉलेज, ग्वालियर दुर्ग, गूजरी महल, सूर्य मंदिर, मोती महल आदि विभिन्न पुरातात्विक धरोहरों का भ्रमण कर उनके बारे में जानकारी इकट्ठी की। वहीं इन धरोहरों की कलात्मकता व खूबसूरती की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की।

उन्होंने कहा कि जीवन में बहुत कम अवसर ऐसे आते हैं, जब हमें कुछ खास करने का मौका मिलता है। ऐसा ही मौका मुझे मिला है संगीत सम्राट तानसेन की नगरी को देखने का। जहां के हर कण में संगीत समाया हुआ है। वाकई जवाब नहीं तानसेन की इस नगरी का।

उन्होंने कहा कि हमारे लिए जरूरी है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत की उपयोगिता के विषय में सोचें-समझें। कार्यक्रम में उन्होंने स्कूली बच्चों को धरोहर एवं विरासत के संरक्षण के विषय में जानकारी दी।

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