इसलिए नहीं खाना चाहिए प्रेगनेंसी में बैंगन:
आयुर्वेद के अनुसार, बैंगन एक वात-कारक खाद्य पदार्थ है। वात शरीर के तीन दोषों में से एक है, और यह शरीर में गति और परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। गर्भावस्था के दौरान, वात दोष पहले से ही बढ़ा हुआ होता है, इसलिए बैंगन जैसे वात-कारक खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
बैंगन को पचाने में भी मुश्किल होता है, और इससे गर्भवती महिलाओं में अपच, गैस और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, बैंगन में सोलनिन नामक एक एल्कलॉइड होता है, जो गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है।
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बैंगन में नाइट्रेट की मात्रा अधिक होती है, जो गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है।
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बैंगन में ऑक्सालेट की मात्रा भी अधिक होती है, जो किडनी की पथरी के खतरे को बढ़ा सकता है।
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बैंगन में एलर्जी पैदा करने वाले गुण भी हो सकते हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं में एलर्जी की समस्या हो सकती है।
हालांकि, कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि बैंगन गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक नहीं है। लेकिन फिर भी, आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिलाओं को बैंगन से बचना चाहिए। अगर आपको बैंगन खाने की इच्छा हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिलाओं को ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और डेयरी उत्पादों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए और नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
अगर आपको गर्भावस्था के दौरान अपने खान-पान के बारे में कोई सवाल है, तो आप अपने डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह ले सकती हैं।
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