ना इधर के रहे ना उधर के रहे बीच अधर अटके रहे ना इंडिया को भुला सके ना अमेरिका को अपना सके इंडियन-अमेरिकन बनके काम चलाते रहे
ना हिन्दी को छोड़ सके ना अंग्रेजी को पकड़ सके देसी एक्सेंट में गोरों को कन्फ्यूस करते रहे ना टर्की पका सके ना ग्रेवी बना सके राम का नाम लेके थैंक्स गिविंग मनाते रहे
ना क्रिसमस ट्री लगा सके ना बच्चों को समझा सके दिवाली पर सांता बनके तोहफे बांटते रहे नॉ शॉर्ट्स पहन सके ना सलवार छोड़ सके जीन्स पे कुरता और स्नीकर्स चढ़ा के इतराते रहे
ना नाश्ते में डोनट खा सके पिज्जा पर मिर्च छिड़ककर मजा लेते रहे ना गर्मियों को भुला सके ना बर्फ को अपना सके खिड़की से सूरज को देखकर 'ब्युटीफुल डे' कहते रहे
अब आई बारी भारत को जाने की तो वहां हाथ में पानी की बोतल लेकर चले ना भेलपुरी खा सके ना लस्सी पी सके पेट के दर्द से तड़पते मरे हरड़े-इसबगोल खाकर काम चलाते रहे
ना खुड्डी पर बैठ सके ना कमोड़ को भूल सके बस बीच अधर झुकके काम चलाते रहे ना मच्छर से भाग सके ना डॉलर को छुपा सके नौकरों से भी पीछा छुड़ाकर भागते रहे
बस नींदों में स्वप्न देखते रहे या आसमान को ताकते रहे ना इधर के रहे ना उधर के।