राजस्थान के 5 चुनावों में दो बार बनी कांग्रेस सरकार

शनिवार, 26 अक्टूबर 2013 (15:25 IST)
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जयपुर। राजस्थान में आजादी के बाद 45 साल शासन् करने वाली कांग्रेस भाजपा की कड़ी टक्कर मिलने से पिछले 5 विधानसभा चुनावों में केवल दो बार ही सरकार बनाने में कामयाब हो पाई।

पहली विधानसभा वर्ष 1952 से सन् 1972 की 5वीं विधानसभा तक लगातार एकछत्र शासन करने वाली कांग्रेस ने आपातकाल के बाद सन् 1977 में हुए छठे विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी से भारी शिकस्त खाने के बाद अगली 7वीं एवं 8वीं विधानसभा में फिर अपना दबदबा दिखाया लेकिन वर्ष 1990 में नौवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने पहली बार कुल 200 विधानसभा सीटों में 85 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया और वह केवल 50 सीटों पर सिमट गई।

दूसरे स्थान पर रहकर पहली बार 55 सीट जीतने वाले जनता दल के सहयोग से भाजपा ने राज्य में भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व में पहली बार सरकार बनाई। हालांकि इससे पहले शेखावत वर्ष 1977 में जनता पार्टी को मिले 150 सीटों के भारी बहुमत में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।

इसके बाद वर्ष 1993 में 10वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भी भाजपा ने अपना दबदबा बनाए रखा, हालांकि वह इस बार भी स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाई लेकिन अपनी पिछली सीटों की संख्या में 11 सीटों का इजाफा करते हुए इसे 96 तक पहुंचा दिया और निर्दलीयों की सहायता से शेखावत ने फिर सरकार बना ली।

हालांकि सन् 1998 में 11वीं विधानसभा के लिए हुए चुनावों में भाजपा कांग्रेस की लहर के आगे केवल 33 सीटों पर सिमटकर रह गई। इस चुनाव में कांग्रेस ने 150 सीटें जीतकर धमाकेदार वापस की और अशोक गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने।

कांग्रेस इस जीत का सिलसिला आगे नहीं बढ़ा सकी और वर्ष 2003 में हुए 12वीं विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पहली बार स्पष्ट बहुमत हासिल किया। इस चुनाव में भाजपा की 120 सीटों के मुकाबले कांग्रेस 56 सीटों पर सिमटकर रह गई।

भाजपा के पहली बार स्पष्ट बहुमत के बावजूद वह राज्य की जनता को खुश नहीं कर पाई और सन् 2008 के 13वीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। भाजपा को 78 सीटें मिल पाईं।

इस चुनाव में कांग्रेस को 96 सीटें प्राप्त हुईं लेकिन स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं होने के बावजूद गहलोत ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 6 विधायकों तथा निर्दलीयों की मदद से सरकार बना ली। बाद में बसपा के इन विधायकों को सरकार में शामिल किया गया और उसके बाद ये सभी कांग्रेस में शामिल हो गए।

आजादी के बाद पहली से लेकर 5वीं विधानसभा तक कांग्रेस के सामने कोई भी पार्टी नहीं टिक पाई और इस दौरान वह कभी भी करीब 40 प्रतिशत मत के आंकड़े से नीचे नहीं आई।

कांग्रेस ने वर्ष 1952 में हुए पहले आम चुनाव में 39.71 प्रतिशत मत प्राप्त किए। इसी तरह वर्ष 1957 में 45.13, सन् 1967 में 41.41 तथा वर्ष 1972 में सबसे अधिक 51.14 प्रतिशत मत प्राप्त किए।

लेकिन वर्ष 1977 के आपातकाल में कांग्रेस जनता पार्टी के आगे टिक नहीं पाई और वह केवल 31.41 प्रतिशत वोट ही प्राप्त कर सकी। इससे पहले हुए चुनाव में 145 सीटें जीतने वाली कांग्रेस मात्र 41 सीटों पर सिमट गई। इस चुनाव में जनता पार्टी ने 50.41 प्रतिशत मत लेकर रिकॉर्ड 150 सीटें जीतीं।

इसके बाद वर्ष 1980 में हुए 7वीं विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की और 42.96 प्रतिशत मत प्राप्त किए। इस चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ रही भाजपा ने अपने पहले ही चुनाव में 18.60 प्रतिशत मत लेकर 32 सीटें जीती।

इसके बाद 8वीं विधानसभा में कांग्रेस ने अपना मत प्रतिशत बढ़ाते हुए 46.79 प्रतिशत मत हासिल किए लेकिन भाजपा के दूसरे चुनाव में 38 सीटें जीतने से उसकी नींद उड़ गई। भाजपा ने इस चुनाव में 21.16 प्रतिशत मत मिले।

भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद से लगातार उसका मत प्रतिशत बढ़ा और वर्ष 1990 में 9वीं विधानसभा में वह 25.25 प्रतिशत मत लेकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जनता दल के सहयोग से सरकार बनाने में कामयाब रही, हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस ने सबसे अधिक 33.64 प्रतिशत मत प्राप्त किए।

इसके बाद हुए वर्ष 1993 में हुए चुनाव में भी भाजपा अपना मत प्रतिशत रिकॉर्ड सुधारते हुए मतदान का 38.60 प्रतिशत मत हासिल कर लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही, हालांकि वह इसके अगले चुनाव वर्ष 1998 में कांग्रेस से मात खा गई। उसे इस चुनाव में 33.23 प्रतिशत मत मिले जबकि कांग्रेस ने 44.95 प्रतिशत वोट बटोरे।

इसके बाद भाजपा वर्ष 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर अपना वोट बैंक बढ़ाते हुए 39.20 प्रतिशत मत लेकर फिर सत्ता में आ गई। इस चुनाव में कांग्रेस को 35.65 प्रतिशत मत मिले। इसी तरह इसके अगले चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी और उसने 36.82 प्रतिशत मत लेकर भाजपा को सत्ता से दूर किया। भाजपा ने इस चुनाव में 34.27 प्रतिशत मत हासिल किए।

राजस्थान में अब तक हुए 13 विधानसभा आम चुनावों में अधिकतर कांग्रेस का कब्जा रहा लेकिन पिछले 5 चुनाव में भाजपा उसे कड़ी टक्कर देते हुए 3 चुनावों में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने में सफल रही और इस बार आगामी चुनाव में फिर श्रीमती राजे के नेतृत्व में कांग्रेस को मात देने का प्रयास कर रही है, वहीं कांग्रेस अशोक गहलोत द्वारा पिछले 5 साल में किए गए मुफ्त दवा योजना, जयपुर मेट्रो, पेयजल योजना, बाड़मेर में रिफाइनरी की स्थापना आदि जनहित के कामों की बदौलत सत्ता को बरकरार रखने की पूरी कोशिश की जा रही है। (वार्ता)

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