नाग-नागिन की चमत्कारी समाधि

जहाँ आस्था की बात आती है वहाँ शंका का कोई स्थान नहीं होता, परंतु नाग नागिन का प्यार, चमत्कार और ऐसी ही अन्य बातें क्या आज के इस पढ़े-लिखे और जागरूक समाज में प्रासंगिक हैं? यह प्रश्न निश्चित ही एक गंभीर चर्चा का विषय हो सकता है।

आज हम इसी तरह की एक अनोखी घटना से परिचय कराने के लिए आपको ले चलते हैं गुजरात के बड़ौदा जिले के मांजलपुर गाँव में, जहाँ पर है एक चमत्कारी समाधि। यह समाधि किसी महापुरुष या संत की नहीं बल्कि एक नाग और उसकी प्रेयसी नागिन की है। यहाँ स्थित नाग-नागिन मंदिर के संचालक श्री हरमनभाई सोलंकी ने बताया कि 2002 में सावन के पवित्र मास में शहर के मांजलपुर गाँव के नजदीक एक अनोखी घटना घटी।

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बड़ौदा के मंजुलापार्क क्षेत्र निवासी पारेख परिवार जब कहीं से देवदर्शन कर घर वापस लौट रहे थे तभी रास्ते में उनकी कार ने सड़क पार कर रहे नाग-नागिन के जोड़े में से नागिन को कुचल दिया। कहते हैं, नाग इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने वहीं सड़क पर अपना फन पटक-पटक कर जान दे दी।

इस हृदयविदारक दृश्य को देखकर लोग आश्चर्यचकित रह गए तब कुछ बुजुर्गों ने इस प्रेमी जोड़े को आदर्श मानकर इनके बलिदान को याद रखने के लिए उनकी समाधि बनाने की सलाह दी। कहते हैं कि समाधि देने के दूसरे ही दिन यहाँ एक विस्फोट हुआ और समाधि की मिट्टी 2 से 3 फुट अंदर तक जमीन में धँस गई जिसे आज भी एक चमत्कार माना जाता है।

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इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहाँ आएदिन चमत्कार होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सात वर्ष पूर्व जब यहाँ एक श्रद्धालु ने नारियल फोड़ा तो उसमें से दो गोले निकले वहीं एक अन्य श्रद्धालु द्वारा चढ़ाए गए नारियल पर दो आँखें चित्रित नजर आईं तो इसे नाग देवता का चमत्कार मानकर मंदिर में ही श्रद्धापूर्वक स्थान दे दिया गया।

नाग-नागिन के इस प्रेम रूपी स्मारक में लोगों की आस्था बस गई है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ मन्नत माँगने आते हैं और उनका विश्वास है कि ये नाग-नागिन का जोड़ा उन्हें कभी निराश नहीं करता। पारिवरिक सुख-समृद्धि, व्यापार में सफलता से लेकर सूनी गोद भरने जैसी हर इच्छा की पूर्ति के लिए लोग यहाँ आते हैं।

भारत में इस तरह की घटनाएँ काफी आम हैं, जहाँ लोग हर एक अनोखी घटना को धर्म से जोड़कर देखते हैं। परंतु इस तरह की चीजों में कितनी आस्था और कितना आडंबर है, यह शायद बताना हर किसी के लिए आसान नहीं है। नाग-नागिन के प्यार और बलिदान की यह कहानी क्या वाकई एक सच्चाई है या एक साधारण घटना को महिमामंडित कर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है?