- श्रुति अग्रवाल हाथों में पूजा की थाल, जलता कपूर और अजीब-सी हरकतें करते श्रद्धालु...यह नजारा है मध्यप्रदेश के बिजलपुर गाँव में स्थित दत्त मंदिर का। लोक विश्वास है कि इस मंदिर की आरती में शामिल होने से लोगों की प्रेतबाधा दूर होती है।
जैसे ही हमें यह जानकारी मिली, हमने तय किया कि एक बार जाकर इस मंदिर का जायजा लेना ही चाहिए। हम गाँव के रास्ते में ही थे कि दत्त मंदिर के शिखर पर लगी लाल ध्वजा नजर आने लगी। कुछ और आगे बढ़ने पर हमें धवल मंदिर नजर आया। मंदिर के प्रांगण में लोगों का हुजूम लगा था। पता चला कि मंदिर में गुरुवार को महाआरती होती है। सारे श्रद्धालु इसी आरती में हिस्सा लेने यहाँ आए हैं।
मंदिर के अंदर दत्त भगवान की सुंदर मूर्ति प्रतिष्ठित थी। मंदिर के पुजारी महेश महाराज ने बताया कि यह मंदिर लगभग सात सौ साल पुराना है। इस मंदिर में सेवा करते-करते हमारी कई पीढ़ियाँ बीत गईं। मैं सातवीं पीढ़ी का हूँ। पुरखों द्वारा बताई गई बातों के अनुसार हमारे एक पूर्वज हरिणुआ साहेब ने लगातार 12 साल तक भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना की।
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इसके बाद प्रभु ने प्रसन्न होकर उनसे वरदान माँगने के लिए कहा। तब हरिणुआ साहेब ने कहा- आप मंदिर में ही वास करें। यहाँ आने वाले भक्त खाली हाथ न जाएँ। बस तभी से मंदिर में साक्षात् दत्त महाराज का वास है। यह बताते हुए महेश महाराज दावा करते हैं कि उनके शरीर में दत्त भगवान की परछाई आती है। उसके बाद महाआरती में शामिल होने वाले भक्त के सभी दु:ख-दर्द विशेषकर प्रेतबाधाएँ ठीक हो जाती हैं।
अभी हम पुजारी से बात ही कर रहे थे कि महाआरती का समय हो गया। हमने देखा कि आरती के समय अनेक लोग जिनमें मुख्यतः महिलाएँ थीं, हाथ में जलते कपूर की थाली लेकर दत्त भगवान की आरती करने लगीं। आरती के बीच में ही वे अजीब तरह की हरकतें करने लगीं। कुछ चीखने लगीं तो कुछ जमीन पर लोट लगाने लगीं। हमें बताया गया कि इन लोगों को हाजिरी आ रही है। इनसे ये हरकतें इनके अंदर की प्रेतबाधा करवा रही हैं।
हमने यहाँ आए एक व्यक्ति जितेंद्र पटेल से बातचीत की। जितेंद्र ने बताया कि उसकी पत्नी पर डायन का साया है। वह कई दिनों तक लगातार गुमसुम रहती है। किसी से बात भी नहीं करती, खाना भी नहीं खाती। जबसे उसे इस मंदिर की महाआरती में ला रहा हूँ, उसमें सुधार दिखने लगा है।
जितेंद्र की तरह कई अन्य लोग भी मंदिर में आने के बाद सुधार का दावा कर रहे थे। ऐसी ही एक महिला जमुनाबाई का दावा था कि वह आज ठीक है, स्वस्थ है तो सिर्फ दत्त महाराज की कृपा से।
लेकिन हमें यह महसूस हो रहा था कि इन सभी लोगों पर प्रेत साया या ऊपरी बाधा न होकर इन्हें किसी तरह की मानसिक बीमारी है और इलाज की सख्त आवश्यकता है। इस बाबत जब मनोचिकित्सकों से बातचीत की गई तो उनका कहना भी यही था कि ऐसे लोग दिमागी रूप से परेशान होते हैं। हम इन्हें पूरी तरह से पागल की श्रेणी में भी नहीं रख सकते। इन लोगों को उचित देखभाल और प्यार की जरूरत है। यदि सही समय पर इनका सही इलाज कराया जाए तो इन्हें इस तरह की समस्या से निजात मिल सकती है। आप इस संबंध में क्या सोचते हैं, हमें बताइएगा?