सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य प्राणीमात्र की जीवनीशक्ति भी है। सूर्य के प्रकाश के बिना इस विश्व में कहीं भी जीवन सम्भव नहीं। वहीं ज्योतिष शास्त्र में सूर्य प्रतीक है आत्मा का, सत्ता का, राजसी जीवनशैली का।
जब किसी जातक की जन्मपत्रिका में सूर्य शुभ होते हैं तब उस जातक का जीवन समृद्धिशाली होता है। उसे अपने जीवन में यश-प्रतिष्ठा, धन-धान्य व समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
लेकिन जब किसी जातक की जन्मपत्रिका में सूर्य अशुभ होते हैं तब वह जातक को जीवन घोर असफ़लताएं प्रदान करते हैं। ऐसी ग्रहस्थिति में सूर्य की आराधना कर जातक अपने जीवन में आए अवरोध व बाधा को दूर कर संकट से मुक्त होकर लाभ प्राप्त कर सकता है।
इसके लिए जातक को संपूर्ण वर्ष के द्वादश आदित्यों (12 सूर्यों) को प्रात:काल अर्घ्य देकर उनके नाम का स्मरण करना श्रेयस्कर रहता है। हमारे शास्त्रों में संपूर्ण वर्ष के द्वादश आदित्यों का वर्णन मिलता है। आइए जानते हैं कि वर्ष के द्वादश आदित्यों के नाम कौन से हैं-
1. चैत्र-धाता
2. वैशाख-अर्यमा
3. ज्येष्ठ-मित्र
4. आषाढ़-अरूण
5. श्रावण-इन्द्र
6. भाद्रपद-विवस्वान
7. अश्विन-पूषा
8. कार्तिक-पर्जन्य
9. अगहन(मार्गशीर्ष)-अंशुमान
10. पौष-भग
11. माघ-त्वष्टा
12. फ़ाल्गुन-जिष्णु
सूर्यदेव की प्रसन्नता हेतु करें भानु-सप्तमी व्रत-
सूर्य-सप्तमी व्रत प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है। इस दिन व्रती प्रात:काल स्नान के उपरांत उस माह के अधिष्ठाता सूर्य का नाम उच्चारण करते हुए सूर्यदेव को कुंकुम मिश्रित जल से अर्घ्य दें। तत्पश्चात् दिन भर उपवास रखकर सायंकाल सूर्यास्त से पूर्व बिना नमक वाला भोजन कर उपवास का पारण करें। इस व्रत को करने से सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।