विवाह पूर्व अष्टकूट या मिलान में अधिकतर लोग गुण मिलाकर शादी कर लेते हैं। गुणों में नाड़ी के मिलने का अर्थ होता है कि संतान में बाधा नहीं आएगी और यदि भकूट एवं मैत्री भी मिल जाए तो माना जाता है कि दोनों में सामंजस्य रहेगा। लेकिन कुंडली मिलान में सप्तम भाव का बड़ा महत्व होता है। आओ जानते हैं सप्तम भाव के बारे में खास जानकारी।
1. कुंडली में सप्तम भाव को विवाह का घर माना जाता है। इस भाव में जो घर बैठा हो वैसा वैवाहिक जीवन होने की मान्यता है। सातवें भाव को पत्नी, ससुराल, प्रेम, भागीदारी और गुप्त व्यापार के लिए भी माना जाता है।
उपरोक्त के अलावा भी सप्तम भाव में प्रत्येक ग्रह का अलग अलग प्रभाव होता है। जैसे सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु का होना शुभ नहीं माना जाता है। इसी तरह अन्य ग्रहों और सूर्य एवं चंद्र की स्थिति देखकर ही दाम्पत्य जीवन के सुखमयी होने की बात कही जाती है।