हिन्दू शास्त्रों में 'अधिक मास' को बड़ा ही पवित्र माना गया है, इसलिए 'अधिक मास' को 'पुरुषोत्तम मास' भी कहा जाता है। 'पुरुषोत्तम मास' अर्थात् भगवान पुरुषोत्तम का मास। शास्त्रों के अनुसार 'अधिकमास' में व्रत पारायण करना, पवित्र नदियों में स्नान करना एवं तीर्थ स्थानों की यात्रा का बहुत पुण्यप्रद होती है।
आइए जानते हैं कि 'अधिक मास' कब व कैसे होता है?
पंचांग गणना के अनुसार एक सौर वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं जबकि चन्द्र वर्ष में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चन्द्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अंतर प्रत्येक वर्ष में रहता है। इसी अंतर को समायोजित करने हेतु 'अधिक मास' की व्यवस्था होती है।
वर्ष 2018 में है 'अधिक मास'-
वर्ष 2018 में 'अधिक मास' 16 मई से 13 जून के मध्य रहेगा। इस वर्ष ज्येष्ठ मास की अधिकता रहेगी अर्थात् इस वर्ष दो ज्येष्ठ मास होंगे। 'अधिक मास' की मान्यता 16 मई से 13 जून होगी।