वर्ष 2025 से ज्यादा खतरनाक रहेगा 2026, अभी से पैसा बचाना कर दें प्रारंभ, बुरे वक्त में आएगा काम, क्या होगा जानें

WD Feature Desk

सोमवार, 7 जुलाई 2025 (00:55 IST)
Year 2026 predictions: वर्तमान में विक्रम संवत 2082 के अंतर्गत कालयुक्त सिद्धार्थ संवत्सर चल रहा है। इस संवत्सर के फलानुसार भारत में और दुनिया में युद्ध और आतंकवाद की घटनाओं के दर्शन होंगे, जो एक बड़े युद्ध की भूमिका तय करेंगे। महंगाई बढ़ेगी। वर्षा खंडित होगी। कई जगह अकाल और कई जगह बाढ़ के हालात देखने को मिलेंगे। वैश्‍विक स्तर पर दोस्त और दुश्मन तय हो जाएंगे।

रौद्र संवत्सर: 
सिद्धार्थ संवत्सर के बाद विक्रम संवत 2083 जब प्रारंभ होगा तब शुरू होगा रौद्र नाम संवत्सर प्रारंभ होगा। 19 मार्च 2026 से रौद्र नाम संवत्सर प्रारंभ होगा। यानी विक्रम संवत 2083 से प्रारंभ होगा रौद्र संवत्सर। यह देश और दुनिया में नरसंहार लेकर आएगा। मध्य एशिया में नरसंहार जारी है और अब यह दक्षिण एशिया में भी देखा जाएगा। इस दौरान मौसम में भारी बदलाव होगा और किसी बड़े भूकंप के आने या ज्वालामुखी फटने के संकेत भी मिलते हैं।

12 जुलाई से 15 अगस्त के बीच का समय भयंकर
12 जुलाई से 15 अगस्त के बीच का समय भयंकर रहने वाला है जबकि गुरु, चंद्र और सूर्य यानी यह तीनों ग्रह कर्क राशि में होंगे। यानी 15 से 12 अगस्त के बीच यह इसी राशि में रहेंगे। इस युति के बाद भारत के लिहाज से स्थितियों में सुधार होगा लेकिन विनाश के बाद। गुरु, चंद्र और सुर्य तीनों ग्रहों का पुष्य नक्षत्र में जा रहे हैं जोकि शनि का नक्षत्र है। यह शनि का नक्षत्र है। शनि और पुष्य दोनों ही न्याय के ग्रह नक्षत्र हैं जो तीनों ग्रहों के साथ जुडकर अलग-अलग कहानी लिखने का काम करेंगे। सूर्य के साथ आग और चंद्र के साथ जल प्रलय की उत्पत्ति करेंगे। यह विध्वंस के बाद सृजन की नींव भी रखेंगे। यह मीन राशि का शनि जुलाई और अगस्त 2026 के माह में अपनी पूर्ण विनाश लिया का सृजन करेगा। ऐसा ग्रह योग संकेत देते हैं। 
 
1943 में यही स्थिति बनी थी जब सुभाषचंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर पर भारत की स्वतंता का झंडा लहरा दिया था। इसके बाद धीरे धीरे संपूर्ण विश्‍व में बदलाव होने लगे थे और अंत में भारत को स्वतंत्रता मिलती थी।

क्या कहते हैं ग्रह  गोचर:
अधिकतर ज्योतिषियों का मानना है कि वर्ष 2020 से देश और दुनिया का भविष्‍य बदलने लगा है जब शनि ने मकर में प्रवेश किया था। मकर से लेकर मेष तक यानि 2029 तक शनि की यह गति देश और दुनिया का भूगोल ही नहीं भविष्‍य और मौसम भी बदल कर रख देगी। यानि विश्‍व के बदलने की शुरुआत 2020 से हो चुकी है 2025 इसका टर्निंग पाइंट है और अब 2026 में होगा महायुद्ध। वैसे आप देख ही रहे हैं कि यूक्रेन और गाजा में नरसंहार जारी है और आने वाले समय में अब दक्षिण एशिया में भी हम यह देखेंगे। 
 
वर्ष 2026 में बृहस्पति 2 जून तक मिथुन राशि में रहेंगे, फिर 2 जून से 31 अक्टूबर तक कर्क राशि में रहेंगे। कुंभ से निकलकर 5 दिसंबर को राहु मकर में गोचर करेगा। सिंह से निकलकर केतु कर्क में गोचर करेगा। 16 जनवरी 2026 को धनु से निकलकर मंगल मकर में गोचर करेगा। इसके बाद वह कुंभ, मीन, मेष, मिथुन, कर्क और सिंह में गोचर करेंगे। इस बीच शनि की वक्री और मार्गी गति मीन में ही रहेगी। मूलत: शनि, बृहस्पति, राहु, केतु और मंगल का ही ज्यादा प्रभाव रहेगा।
 
बृहस्पति के कारण दुनिया का सुख चैन और मौसम खत्म हो जाएगा। जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान और जल संबंधित प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाएगी। आर्थिक स्थिति पर इसका प्रभाव पड़ेगा। राहु के कारण दुनिया में भ्रम फैलेगा, महामारी का प्रकोप रहेगा। मंगल और शनि के कारण महादंगल होगा।
 
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