किसी भी शुभ कार्य के मुहूर्त का निर्धारण करते समय भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है। पंचांग के विष्टि करण को 'भद्रा' कहा जाता है। भद्रा में शुभ कार्य करना निषिद्ध माना गया है। किंतु भद्रा सदैव ही अशुभ नहीं होती।
आइए जानते हैं कि भद्रा कब विशेष अशुभ व हानिकारक होती है?
मृत्युलोक की भद्रा विशेष अशुभ व हानिकारक
- यदि भद्रा वाले दिन चंद्र कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में स्थित हो तो भद्रा का निवास मृत्युलोक रहता है। मृत्युलोक की भद्रा विशेष अशुभ व हानिकारक मानी जाती है। इसमें सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
- यदि भद्रा वाले दिन चंद्र मेष, वृषभ, मिथुन व वृश्चिक राशि में स्थित हो तो भद्रा का निवास (स्वर्ग लोक) एवं भद्रा वाले दिन चंद्र कन्या, तुला, धनु व मकर राशि में स्थित हो तो भद्रा का निवास (पाताल लोक) में रहता है। स्वर्ग लोक एवं पाताल लोक निवासरत भद्रा विशेष अशुभ नहीं होती।
- मध्यान्ह काल के उपरांत भद्रा विशेष अशुभ नहीं होती।
- शुक्ल पक्ष की चतुर्थी व एकादशी तथा कृष्ण पक्ष की तृतीया व दशमी तिथि वाली भद्रा दिन में शुभ होती है, केवल रात्रि में अशुभ होती है।
- शुक्ल पक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी तिथि वाली भद्रा रात्रि में शुभ होती है, केवल दिन में अशुभ होती है।
- कोर्ट-कचहरी, मुकदमे, चिकित्सा, शत्रु पराभव कार्य, चुनावी नामांकन, वाहन क्रय इत्यादि में भद्रा दोष मान्य नहीं होता।