किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि भद्रा काल में मंगल-उत्सव की शुरुआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती है अत: भद्रा काल की अशुभता को मानकर कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। यूं तो 'भद्रा' का शाब्दिक अर्थ है 'कल्याण करने वाली' लेकिन इस अर्थ के विपरीत भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं।
जो व्यक्ति प्रात:काल भद्रा के 12 नामों का स्मरण करता है, उसे कभी भी आधी-व्याधि का भय नहीं रहता है और उसके किसी भी कार्य में कोई विघ्न नहीं आता, उसके सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते है।