Khatu Shyam: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित श्री खाटू श्याम जी का मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जहां लाखों भक्त अपनी आस्था लेकर आते हैं। यहां हर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में बाबा श्याम के दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाटू श्याम बाबा कौन थे और उनकी कहानी इतनी प्रसिद्ध क्यों है? आइए जानते हैं इस लेख में।
हारे का सहारा बनने का वचन: जब बर्बरीक को कौरवों और पांडवों के युद्ध की सूचना मिली, तो उन्होंने भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी माँ से आशीर्वाद लिया और उन्हें वचन दिया कि वे हारे हुए पक्ष का साथ देंगे। इसी वचन के कारण वे "हारे का सहारा" के रूप में प्रसिद्ध हुए।
श्री कृष्ण की परीक्षा: युद्ध में जाते समय बर्बरीक को मार्ग में एक ब्राह्मण मिला। यह ब्राह्मण कोई और नहीं, भगवान श्री कृष्ण थे, जो बर्बरीक की परीक्षा लेना चाहते थे। श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनके तीन बाणों के बारे में पूछा और उनकी शक्ति का परिचय माँगा। बर्बरीक ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए एक पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को अपने बाण से छेद दिया।
युद्ध का साक्षी और विजय का श्रेय: महाभारत युद्ध के बाद, पांडवों में विजय का श्रेय लेने की बहस हुई। श्री कृष्ण ने बर्बरीक को युद्ध का साक्षी होने के कारण उनसे इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए कहा। बर्बरीक ने कहा कि इस युद्ध की विजय का श्रेय एकमात्र श्री कृष्ण को जाता है।